रेलवे बोर्ड के पूर्व चेयरमैन और दो बार एयर इंडिया के प्रमुख रह चुके अश्विनी लोहानी जीएमआर समूह के सेवा कारोबार से बतौर मुख्य कार्यकारी जुड़ गए हैं। समूह के सेवा करोबार में रेलवे भी शामिल है। यह बात कंपनी के मनोबल के लिए अच्छी हो सकती है, क्योंकि वह रेलवे के क्षेत्र में पांव पसार रही है। कंपनी की नजर निजी ट्रेन परियोजना, स्टेशन की पुनर्विकास योजनाओं और समर्पित मालवहन गलियारों (डीएफसी) पर है।
लोहानी ने यह कदम रेलवे बोर्ड के चेयरमैन पद से सेवानिवृत्त होने के महज 19 महीने बाद उठाया है। लोहानी का यह निर्णय कंपनी के लिए के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है। कंपनी ने 2013-14 में आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में दो रेल विकास निगम (आरवीएनएल) परियोजनाओं को हासिल कर रेलवे के क्षेत्र में कदम रखा था। आगे चलकर 2014-15 में उत्तर प्रदेश में उसे पूर्वी समर्पित मालवहन गलियारा निगम (डीएफसीसी) पर 7,361 करोड़ रुपये की चार प्रमुख परियोजनाएं हासिल हुईं। लोहानी 1980 बैच के आईआरएसएमई (इंडियन रेलवे सर्विस मैकेनिक इंजीनियरिंग) के अधिकारी हैं। वह मध्य प्रदेश से आते हैं। अगस्त 2015 में उन्होंने पहली बार एयर इंडिया का कार्यभार लिया था और उन्हें इसकी कायापलट कर देने वाले व्यक्ति के तौर पर देखा गया था। उनके कार्यकाल में वित्त वर्ष 2016-17 में पहली बार एयर इंडिया ने अपना परिचालन लाभ 105 करोड़ रुपये पर पहुंचाया था। यह 2007 में इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया के विलय के बाद पहली बार लाभ दर्ज करने वाला साल था। लोहानी ने बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
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