केंद्र सरकार ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की कवायद शुरू कर दी है। चालू वित्त वर्ष में 2.1 लाख करोड़ रुपये का महत्त्वाकांक्षी विविनेश लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार इसी के सहारे है। विनिवेश के लिए नोडल एजेंसी निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने आज 11 फर्मों का जायजा लिया, जिन्होंने प्रस्तावित आईपीओ के लिए निर्गम से पहले लेनदेन सलाहकार (टीए) बनने के वास्ते आवेदन किया है। विदेशी निवेश बैंकों में से सिटीबैंक, सीएलएसए और क्रेडिट सुइस ने इस काम के लिए आवेदन किया है। इसके अलावा ऐक्सिस कैपिटल, एसबीआई काड्र्स और एडलवाइस सहित करीब आधा दर्जन घरेलू बैंक और फर्म भी इसकी दौड़ में शामिल हैं। इस काम के लिए आवेदन करने वाली डेलॉयट इंडिया टचे तोमात्सु इकलौती कंपनी है, जो निवेश बैंक नहीं है। एलआईसी का आईपीओ घरेलू पूंजी बाजार में अब तक का सबसे बड़ा निर्गम होगा। उद्योग के भागीदारों ने कहा निर्गम से जुड़ी प्रतिष्ठा को देखते हुए कई फर्में टीए की भूमिका अदा करना चाहती हैं क्योंकि इससे जुड़ी फर्म का रुतबा बहुत बढ़ जाएगा। विशेषज्ञों ने कहा कि टीए चयन करने का मतलब है कि केंद्र का इरादा चालू वित्त वर्ष खत्म होने से पहले ही आईपीओ लाने का है। एलआईसी की सूचीबद्घता के साथ जुड़ी जटिलताओं को देखते हुए कई लोग आशंका जता रहे थे कि सरकार मार्च 2021 से पहले आईपीओ नहीं ला पाएगी। एलआईसी को शेयर बाजार में उतारने के प्रस्ताव का ऐलान इस साल फरवरी में आम बजट में किया गया था। प्राथमिक बाजार के एक विशेषज्ञ ने कहा, 'टीए की नियुक्ति इस दिशा में पहला बड़ा कदम है। हाल के महीनों में शेयरों की खरीदफरोख्त का रुझान बताता है कि कोविड महामारी के बाद भी बाजार बड़े निर्गम को हाथोहाथ ले रहा है। अगली दो तिमाही के अंदर आईपीओ लाना असंभव नहीं होगा।' केंद्र सरकार आईपीओ के लिए दो लेनदेन सलाहकार चुन सकती है। आशय प्रस्ताव (आरएफपी) में सरकार ने कहा है, 'सलाहकार प्रस्तावित आईपीओ की तैयारी करेगा और आईपीओ तथा उसे लाने के समय, लेनदेन की रूपरेखा, सौदे से इतर रोड शो करने, वांछित कीमत हासिल करने के उपायों, अल्पांश बिक्री आदि के बारे में सरकार को सलाह देगा तथा उसकी मदद भी करेगा।' उद्योग के भागीदारों ने कहा कि टीए की सबसे अहम भूमिका एलआईसी के लिए उचित मूल्य तय करने और उसे अनुपालन के लिए तैयार बनाने की होगी। आईपीओ के जरिये केंद्र सरकार एलआईसी में न्यूनतम 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि सरकार को इससे 1 से 2 लाख करोड़ रुपये मिल सकते हैं। जीवन बीमा कारोबार का 70 फीसदी से ज्यादा बाजार एलआईसी के पास है। एसबीआई लाइफ, एचडीएफसी लाइफ और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल जैसी सूचीबद्घ जीवन बीमा कंपनियों की कीमत तय करने में निहित मूल्य, नए कारोबार का मूल्य और प्रबंधन के तहत आने वाली संपत्तियां (एयूएम) प्रमुख कसौटी होती हैं। हालांकि एलआईसी ने कभी अपने निहित मूल्य या नए कारोबार का खुलासा नहीं किया है मगर उसकी एयूएम करीब 35 लाख करोड़ रुपये हैं। सूचीबद्घ जीवन बीमा कंपनियों की कीमत एयूएम के 40 से इस खंड की सूचीबद्घ कंपनियों के शेयर एयूएम के 40 से 95 फीसदी पर कारोबार करते हैं। मगर उद्योग भागीदार मान रहे हैं कि एलआईसी का कारोबार एयूएम के 25-30 फीसदी पर ही होगा, जिससे उसे दूसरी कंपनियों के मुकाबले कम कीमत हासिल होगी। मूल्यांकन की जटिलता के अलावा एलआईसी को कई और चीजें भी दुरुस्त करनी होंगी। उदाहरण के लिए उसे तय करना होगा कि सूचीबद्घ होने के बाद भी पॉलिसीधारकों को सरकारी गारंटी मिलती रहेगी या नहीं। उसे यह भी बताना होगा कि सार्वजनिक उपक्रमों को उबारने के मामले में क्या वह पॉलिसीधारकों और शेयरधारकों के बजाय सरकार के हितों का ही ध्यान रखती रहेगी।
