छोटी कारोबारी इकाइयां अब अपने कारोबार के वित्त पोषण के लिए परिवार के स्वर्णाभूषणों को गिरवी रखने पर विचार कर रही हैं। कोरोनावायरस (कोविड-19) फैलने के बाद लोगों और लॉजिस्टिक आवागमन पर लगाए गए प्रतिबंध के दौरान उनके कारोबार में कमी आ गई थी। विश्व स्वर्ण परिषद के प्रबंध निदेशक (भारत) सोमसुंदरम पीआर ने हाल ही में पीएचडी चैंबर द्वारा आयोजित एक वेबिनार में कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान छोटे कारोबार ध्वस्त हो गए हैं। अब वे अपना कारोबार फिर से शुरू करने के लिए पूंजी तलाश रहे हैं। उनके लिए धन जुटाने का एकमात्र विकल्प सोने के गहने हैं। इसलिए बाजार खुलने पर हमें छोटे कारोबारों के वित्त पोषण के लिए सोने के एवज में लिए गए ऋण में तीव्र वृद्धि नजर आ सकती है। आमतौर पर छोटे कारोबार जैसे - फल और सब्जी विक्रेता, सड़क किनारे बने भोजनालय या चाय स्टॉल के मालिक आदि भी अपना कारोबार शुरू करने के लिए निजी वित्त पोषण का लाभ उठाते हैं। लेकिन सामान्यत: औसत मध्य वर्ग में नौकरी जाने और आर्थिक संकट को देखते हुए अपना कारोबार दोबारा शुरू करने के लिए धन की व्यवस्था करना ऐसे कारोबारियों के लिए काफी मुश्किल काम साबित हो रहा है। सोमसुंदरम ने कहा कि हालांकि इस तरह सोने की बड़ी मात्रा भी बिक्री के लिए आएगी, लेकिन अपने कारोबार फिर से शुरू करने के लिए बड़ी संख्या में कारोबारी तत्काल नकदी पाने के लिए अपना सोना गिरवी रखेंगे। निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विस्तार करने की आवश्यकता के बारे सोमसुंदरम ने कहा कि उपभोक्ता जिस भी कीमत पर सोने की खरीद करें, सोना वास्तव में पोर्टफोलियो में विविधता लाने वाला साबित हुआ है। सोने ने 1 जनवरी, 2019 से 60 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है, वह भी ऐसे समय में, जब सभी अन्य परिसंपत्ति वर्गों ने नकारात्मक प्रतिफल प्रदान किया था। मांग के संबंध में सोमसुंदरम ने कहा कि सोने ने अपने रिकॉर्ड 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम मूल्य के साथ बड़ा प्रवेश अवरोधक स्थापित किया है। एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ), सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड और डिजिटल गोल्ड जैसा औसत बिक्री वाला सोना उपभोक्ताओं के लिए पसंदीदा विकल्प साबित हुआ है। कम कन्वर्जन शुल्क वाली छड़ों और अशरफियों जैसे निवेश उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करने से भारत में दीवाली तक सोने की मांग में फिर से उछाल आने की उम्मीद है। इसलिए आभूषणों की मांग कम रहने का अनुमान है। इस बीच खास तौर पर भारत और चीन जैसे एशियाई दिग्गजों के नेतृत्व वाले पूर्वी दुनिया के बाजारों की ओर से सोने की मांग में तीव्र कमी आने के कारण वर्ष 2020 के दौरान विश्व बाजार में सोने का बड़ा अधिशेष दिखने के आसार हैं। लेकिन इस अधिक आपूर्ति के बावजूद सोने की कीमतों में तेजी बनी रह सकती है। वैश्विक सलाहकार मेटल फोकस द्वारा एकत्रित किए गए आंकड़ों में अनुमान जताया गया है कि छड़ों और अशरफियों जैसे निवेश उत्पादों और गहनों की कमजोर उपभोक्ता मांग के कारण इस साल सोने की आपूर्ति मांग की तुलना में आश्र्चजनक रूप से 50 प्रतिशत तक आगे रहेगी। मेटल फोकस का पूर्वानुमान है कि वर्ष 2019 में तकरीबन इतना ही आधिक्य दर्ज किए जाने के बाद वर्ष 2020 के दौरान सोने की आपूर्ति मांग से 50 प्रतिशत तक आगे निकल जाएगी। मेटल फोकस के निदेशक और संस्थापक फिलिप न्यूमैन ने कहा कि स्वर्ण बाजार में बड़ी मात्रा में अधिक आपूर्ति बनी रहेगी। हालांकि इससे सोने के दामों में किसी तरह की कमी लाने में मदद मिलने की संभावना नहीं है। न्यूमैन ने अनुमान जताया है कि दिसंबर 2020 तक सोने के दाम इसके मौजूदा स्तर 1,860 डॉलर प्रति औंस से बढ़कर 1,920 डॉलर प्रति औंस के स्तर तक चले जाएंगे तथा अमेरिकी फेड की नरम ब्याज दर के कारण वर्ष 2020 में औसतन दाम 1,700 डॉलर प्रति औंस और वर्ष 2021 में 1,800 डॉलर प्रति औंस रहेंगे।
