समय से बिकेगी बीपीसीएल की हिस्सेदारी | शाइन जैकब / नई दिल्ली July 23, 2020 | | | | |
सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निजी करण की राह पर समयबद्ध तरीके से आगे बढऩे का फैसला किया है। इसके लिए अभिरुचि (ईओआई) की अंतिम तिथि 31 जुलाई से आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। सऊदी अरामको, रोसनेफ्ट, एक्सॉन मोबिल जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनियों ने पहले ही बोली प्रक्रिया में हिस्सा लेने में दिलचस्पी दिखाई है।
अटकलें लगाई जा रही थीं कि ईओआई दाखिल करने की अंतिम तिथि आगे बढ़ाई जा सकती है, जो अभी 31 जुलाई है। सूत्रों ने कहा कि सरकार विनिवेश प्रक्रिया में देरी करने को इच्छुक नहीं है और वह चालू वित्त वर्ष में ही विनिवेश प्रक्रिया पूरी कर लेने को इच्छुक है। कैबिनेट सचिव राजीव गाबा की अध्यक्षता में सचिवों की अधिकार प्राप्त समूह ने गुरुवार को इस सिलसिले में बैठक की। इस समूह के अन्य सदस्यों में नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ कांत और निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कुमार पांडेय शामिल हैं।
सूत्रों ने कहा कि एक घंटे तक चली बैठक में 31 जुलाई अंतिम तिथि बनाए रखने और समयबद्ध तरीके से विनिवेश प्रक्रिया पूरी करने का फैसला किया गया। संभावित बोलीदाताओं की ओर से उठाए गए करीब 100 सवालों पर सचिवों के समूह ने विचार विमर्श किया। समिति ने फैसला किया है कि प्रत्येक सवाल पर विचार कर निवेशकों को संतोषजनक स्पस्टीकरण या उत्तर दिया जाएगा। बीपीसीएल के रोडशो में हिस्सा लेने वाली अन्य कंपनियों में शेल, शेवरॉन और कोनोको फिलिप शामिल है।
एयर इंडिया और बीपीसीएल में रणनीतिक विनिवेश सरकार के लिए अहम है जिसे कि वित्त वर्ष 2020-21 में 2.1 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य हासिल किया जा सके। यहह इसलिए भी अहम है क्योंकि पिछले वित्त वर्ष में विनिवेश लक्ष्य से करीब 14,701 करोड़ रुपये कम रहा था। इसके पहले सरकार ने संकेत दिए थे कि ईओआई की तिथि बढ़ाई जा सकती है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय उड़ान सेवाएं बाधित हैं और तमाम संभावित बोलीदाताओं ने इसे लेकर चिंता जताई है।
विदेशी निवेशकों की राह में सबसे बड़ी बाधा यह है कि अंतरराष्ट्रीय विमानन सेवाएं बंद हैं। उद्योग के एक विशेषज्ञ के अनुसार अगर कोई बाहरी निवेशक बोली लगाना चाहता है तो उसे भारत आकर अधिकारियों और बीपीसीएल प्रबंधन से विभिन्न मसलों पर बातचीत करनी होगी। इसके साथ ही वह कंपनी की परिसंपत्तियों का निरीक्षण भी करना चाहेगा। एक सूत्र ने कहा, 'बीपीसीएल के मामले में यह सारी औपचारिकताएं पूरी नहीं हुई हैं और विदेशी निवेशकों के लिए ये मुद्दे काफी अहम हैं।'
सरकार बीपीसीएल में अपनी पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है और नवंबर में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव पर मुहर भी लगा दी थी। सरकार ने 7 मार्च को अभिरुचि या हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाने वाली बोलियां आमंत्रित की थीं। शुरुआत में ईओआई की अंतिम तिथि 2 मई रखी गई, लेकिन 31 मार्च को इसे बढ़ाकर 13 जून और उसके बाद 31 जुलाई कर दिया गया। पेशकश के अनुसार प्रबंधन नियंत्रण किसी रणनीतिक खरीदार को देने के साथ सरकार की बीपीसीएल में पूरी हिस्सेदारी (1.14 अरब इक्विटी शेयर) बेचने की योजना है। हालांकि असम के नुमालीगढ़ तेल शोधन कारखाने में कंपनी का 61.65 प्रतिशत हिस्सा इसमें शामिल नहीं है। नुमालीगढ़ तेल शोधन कारखाने में बीपीसीएल की हिस्सेदारी किसी दूसरे सार्वजनिक उपक्रम को बेची जाएगी।
अब तक सरकार नियंत्रित ऑयल इंडिया और इंजीनियर्स इंडिया ने नुमालीगढ़ में बीपीसीएल की 48 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने में दिचलस्पी दिखाई है। शेष हिस्सेदारी असम सरकार को बेची जाएगी, जिससे इस उद्यम में राज्य की हिस्सेदारी बढ़कर 26 प्रतिशत हो जाएगी। बीपीसीएल की बोली प्रक्रिया दो चरणों में संपन्न होगी। अभिरुचि दिखाने के चरण में पात्र बोलीदाता भाग लेंगे और उसके बाद वित्तीय बोलियां लगाई जाएंंगी। 10 अरब डॉलर से अधिक हैसियत वाली निजी कंपनी या अधिकतमचार कंपनियों का समूह बोली प्रक्रिया में भाग ले पाएंगी। सरकार नियंत्रित कंपनियों को बोली प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं है।
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