बारिश और स्थानीय लॉकडाउन से सब्जियां महंगी | |
बीएस संवाददाता / नई दिल्ली 07 23, 2020 | | | | |
देश के बहुत से शहरों और राज्यों में कोविड को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगाने से फल-सब्जियां मंडियों तक सही से नहीं पहुंच पा रही हैं, जिससे उनकी कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। पश्चिम बंंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के सदस्य पतित पावन डे ने कहा, 'हरी सब्जियों का एक दिन में बाजार पहुंचना जरूरी होता है, लेकिन नए लॉकडाउन से आपूर्ति प्रणाली में अवरोध पैदा होगा। इसका मतलब है कि किसानों को कम कीमत मिलेगी और उपभोक्ताओं को ज्यादा कीमत चुकानी होगी।'
हालांकि इन लॉकडाउन के दायरे से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को बाहर रखा गया है। लेकिन कारोबारियों का मानना है कि वितरण शृंखला में बार-बार अवरोध पैदा किया गया तो इससे कीमतों में बढ़ोतरी होगी और फल-सब्जियां बरबाद होंगी क्योंकि ज्यादातर कारोबारियों के पास भंडारण की सीमित क्षमता है।
डे ने कहा कि पश्चिम बंगाल में सप्ताह के अंत में लॉकडाउन से फलों और सब्जियों की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जिससे कीमतों में इजाफा हो सकता है। उन्होंने कहा कि आलू जैसी सब्जियों को शीत भंडारगृहों में रखा जा सकता है, लेकिन हरी सब्जियों को एक दिन के भीतर बाजार में पहुंचाना होता है। डे ने कहा, 'आलू के दाम खुदरा बाजार में पहले ही बढ़कर 28 से 29 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए हैं। हालांकि इसकी एक बड़ी वजह कम उत्पादन है मगर इसमें आपूर्ति में अड़चन की भी भूमिका है।'
महाराष्ट्र के पुणे, सोलापुर समेत विभिन्न शहरों और कस्बों में जिला प्रशासन ने स्थानीय लॉकडाउन लगाए हैं। इसका बागवानी फसलों के उत्पादकों और कारोबारियों पर असर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि बार-बार लॉकडाउन से बड़ी मात्रा में फल, सब्जियां और फूल नहीं बिक पाते हैं। वहीं मजदूरों और परिवहन की उपलब्धता अनिश्चित हो गई है। महाराष्ट्र के कई हिस्सों में टमाटर के दाम के बढ़कर 60 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए हैं, जो करीब एक सप्ताह पहले 35 से 40 रुपये किलो बिक रहे थे। आलू का भाव भी बढ़कर 35 रुपये किलो हो गया है, जो कुछ दिन पहले 25 से 30 रुपये किलो था। फूलगोभी, भिंडी, बैंगन और खीरे जैसी अन्य सब्जियां भी महंगी हुई हैं। अच्छी किस्म का सेब खुदरा बाजार में करीब 200 रुपये प्रति किलो के भाव बिक रहा है, जो एक महीने पहले 140 से 160 रुपये प्रति किलो था। कीमतों में बढ़ोतरी की बड़ी वजह लगातार हो रही बारिश भी है, जिससे शहरों में माल की आवक प्रभावित हो रही है।
कोलकाता लेक मार्केट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष समरेंद्र नाथ बनर्जी ने कहा कि ज्यादातर विक्रेताओं ने फल-सब्जियों की आपूर्ति घटाने का फैसला लिया है ताकि नुकसान कम हो। गुजरात में भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष विट्ठल दुधात्रा ने कहा, 'ऊंझा जैसे क्षेत्रों में कुछ एपीएमसी कोविड के मद्देनजर मंडियां बंद कर रही हैं। इससे अनाज और दलहन किसानों को दिक्कत हो रही है। (ईशिता आयान दत्त, विनय उमरजी, दिलीप कुमार झा और संजीव मुखर्जी)
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