प्रमुख औषधि कंपनी ग्लेनमार्क ने कहा है कि उसकी एंटीवायरल फैविपिराविर दवा फैबिफ्लू कोविड-19 के उपचार में इस्तेमाल होने वाली अन्य दवाओं के मुकाबले सस्ती है। इस प्रकार की अन्य इंजेक्शन वाली दवाओं में रेमडेसिविर, टोसिलिजुमैब, इटोलिजुमैब आदि शामिल हैं। ग्लेनमार्क भारतीय औषधि महानियंत्रक के उस पत्र के जवाब में यह बात कही है जिसमें फैबिफ्लू की अधिक कीमत और गलत दावा संबंधी आरोप पर कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा गया था। एक विधायक द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय को इस बाबत पत्र लिखे जाने के बाद कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा गया था। ग्लेनमार्क ने अपने जवाब में कहा है कि इस प्रकार के आरोप बेबुनियाद हैं और उसमें कोई दम नहीं है। औषधि नियामक द्वारा कंपनी से स्पष्टीकरण मांगे जाने के बाद सोमवार को बीएसई पर ग्लेनमार्क का शेयर 5 फीसदी लुढ़क गया था। कंपनी का शेयर आज 1 फीसदी गिरावट के साथ 414 रुपये पर बंद हुआ। ग्लेनमार्क ने कहा कि उसने फैबिफ्लू के लिए ऐक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रेडिएंट (एपीआई) का विकास खुद किया है। कंपनी ने यह भी कहा है कि वह फैविपिराविर के रैनडम क्लीनिकल परीक्षण करने वाली भारत की एकमात्र कंपनी है। मूल्य के मोर्चे पर कंपनी ने दावा किया है कि भारत में फैविपिराविर को सबसे कम कीमत (103 रुपये प्रति टैबलेट) के साथ उतारा गया है। जबकि रूस, जापान, बांग्लादेश और चीन जैसे अन्य बाजारों में इसे मंजूरी मिल चुकी है। ग्लेनमार्क ने कहा, 'इस दवा की पूरी विनिर्माण प्रक्रिया में उल्लेखनीय निवेश के बावजूद ग्लेनमार्क ने भारत में फैविपिराविर की कीमत अन्य देशों के मुकाबले कम रखी है।' हाल में कंपनी ने इसकी कीमत घटाकर 75 रुपये प्रति टैबलेट कर दिया था। कंपनी ने यह भी दावा किया है कि फैविपिराविर खाने वाली दवा है और इसलिए रोगियों का उपचार वाह्यरोगी आधार पर भी किया जा सकता है। ऐसे में अस्पताल में भर्ती होने का अतिरिक्त खर्च बचेगा। कोविड-19 के उपचार में इस्तेमाल होने वाली अन्य दवाएं इंजेक्शन वाली दवाएं हैं जिसके लिए रोगियों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है। एक चिकित्सा पेशेवर डॉ. अमोल खोल्हे ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को लिखे पत्र में कहा था कि रोगियों को करीब 14 दिनों तक (यानी करीब 122 टैबलेट) यह दवा लेने की जरूरत होती है। ऐसे में 103 रुपये प्रति टैबलेट की कीमत के हिसाब से उपचार की कुल लागत करीब 12,500 रुपये होती है। उन्होंने सरकार से इस दवा को आम लोगों की पहुंच में लाने का आग्रह किया था। हालांकि इसकी घटी हुई कीमत यानी 75 रुपये प्रति टैबलेट के हिसाब से उपचार की कुल लागत अब 9,150 रुपये रह गई है।
