सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अपीलीय प्राधिकरण ने फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्युचुअल फंड (एमएफ) द्वारा योजनाएं बंद किए जाने के बाद बाजार नियामक द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में उठाए गए सवाल को खारिज कर दिया है। आरटीआई अनुरोध में इसे लेकर सवाल उठाए गए कि सेबी ने एफटी एमएफ के ऋण पत्रों को उसके स्वयं के बहीखाते में शामिल क्यों नहीं कराया। इसलिए अपीलकर्ता को उसकी गलती और सेबी की चुप्पी का खामियाजा क्यों भुगतना चाहिए। सेबी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि ये सवाल स्पष्टीकरण या राय तलाशने से संबंधित थे औरइसलिए इन्हें आरटीआई ऐक्ट की धारा 2(एफ) के तहत 'सूचना' के तौर पर शामिल नहीं किया जा सकता। सेबी ने यह भी कहा कि चूंकि शेयर बाजार नियामक के तौर पर उसने नियमों और प्रावधानों के कथित या संदिग्ध उल्लंघन का पता लगाने के लिए जांच की। हालांकि जांच के बाद जब भी उल्लंघन साबित हुए, सेबी कानूनों और मौजूदा नियामकीय ढांचे के तहत उचित कार्रवाई की गई। आरटीआई ऐक्ट के तहत अपीलीय अधिकारी आनंद बैवर को सेबी की प्रतिक्रिया के साथ किसी तरह की त्रुटि नहीं दिखी। एफटी एमएफ के खिलाफ सेबी द्वारा उठाए गए कदम के बारे में पूछे गए सवाल पर बैवर ने कहा, 'यह पता चला है कि सेबी ने न तो जांच कराए जाने को लेकर न तो किसी तरह की पुष्टि की है और न ही इससे इनकार किया है।'
