कोष उगाही के संबंध में नियामकीय बदलावों और रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के निर्गम की शानदार सफलता के बाद राइट इश्यू का आकर्षण बढ़ा है। पिछले एक महीने के दौरान, करीब आधा दर्जन कंपनियों ने इस विकल्प के जरिये ताजा इक्विटी शेयर जारी किए या इसकी प्रक्रिया में हैं। विश्लेषकों का कहना है कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा राइट इश्यू व्यवस्था में बदलाव की पहल से इस विकल्प के जरिये कोष उगाही को बढ़ावा मिला है। कोष उगाही के सौदे पूरे करने की अवधि घटाने, इलेक्ट्रॉनिक आवेदन और पात्र शेयरधारकों को अपने राइट एंटाइटलमेंट (आरई) में कारोबार की अनुमति देना ऐसे कुछ बदलाव हैं जिनसे कोष उगाही के विकल्प को मजबूती मिली है। मौजूदा समय में, आदित्य बिड़ला फैशन ऐंड रिटेल (एबीएफआरएल), श्रीराम ट्रांसपोर्ट और पीवीआर के राइट इश्यू अभिदान के लिए खुले हुए हैं, जबकि एमऐंडएम फाइनैंशियल्स और गेटवे डिस्ट्रिपाक्र्स जल्द अपनी पेशकशें लाएंगी। भारत में बैंक ऑफ अमेरिका निवेश बैंकिंग के प्रमुख राज बालाकृष्णन ने कहा, 'भविष्य में, आप राइट इश्यू का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों की संख्या में इजाफा देखेंगे। राइट इश्यू मूल्य निर्धारण के संदर्भ में पूरी स्वायत्तता प्रदान करते हैं। ये प्रवर्तक भागीदारी के संदर्भ में भी स्वायत्तता प्रदान करते हैं।' विश्लेषकों का कहना है कि आरआईएल का राइट इश्यू यह साबित करने में प्रभावी तरीके से सक्षम रहा था कि राइट इश्यू के संबंध में किस तरह से कुछ बदलाव उपयोगी साबित हुए हैं। उदाहरण के लिए, आरआईएल आरई ट्रेडिंग में भारी बिक्री दर्ज की गई, इसमें उन लोगों को भी मौका मिला जिन्होंने राइट इश्यू में शेयरों के लिए आवेदन करने की योजना नहीं बनाई थी, और आकर्षक कीमत पर अपने आरई बेचे। इसके अलावा, इसके आंशिक-चुकता शेयरों से भी अच्छी रकम मिली, जिनमें अलग से कारोबार हुआ। इससे एबीएफआरएल जैसी कंपनियों को विभिन्न चरणों में अपने राइट इश्यू लाने की प्रेरणा मिली है। केएस लीगल में मैनेजिंग पार्टनर सोनम चांदवानी ने कहा, 'आर्थिक मंदी और कई व्यवसायों पर इनके प्रभाव को देखते हुए भारतीय उद्योग जगत पूंजी जुटाने के लिए हाथ-पांव मार रहा है। कई कंपनियां आरआईएल की रणनीति पर अमल करने की सोच रही हैं और पूंजी उगाही के लिए राइट इश्यू पर जोर दे रही हैं।' राइट इश्यू के जरिये कुल पूंजी उगाही के संदर्भ में यह रिकॉर्ड वर्ष बन गया है। यदि कोष उगाही की मौजूदा रफ्तार बरकरार रही तो यह वर्ष इस दशक में सबसे ज्यादा निर्गमों वाला साल बन सकता है। 1990 के दशक के शुरू में, राइट इश्यू दलाल पथ पर एक सामान्य विकल्प था। प्राइम डेटाबेस के अनुसार, 1990 और 1996 के बीच हर साल औसत 240 राइट इश्यू पेश किए गए थे। पिछले दशक में, कई कंपनियों ने कोष उगाही या प्रवर्तकों को शेयर जारी करने के लिए पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) या तरजीही आवंटन को पसंद किया था। हालांकि क्यूआईपी के लिए मूल्य निर्धारण सेबी द्वारा निर्धारित फॉर्मूला है, जो मौजूदा बाजार भाव से संबंधित है। दूसरी तरफ, राइट इश्यू में कंपनियों को किसी भी कीमत पर शेयर जारी करने की अनुमति होती है। एमऐंडएम फाइनैंशियल ने शनिवार को कहा कि वह मौजूदा बाजार भाव के सिर्फ कुछ अंश पर अपने 3,089 करोड़ रुपये के राइट इश्यू के तहत शेयर जारी करेगी। इसके बावजूद सोमवार को उसका शेयर 10 प्रतिशत चढ़ गया था।
