ब्रॉडबैंड पर घटेगा लाइसेंस शुल्क | मेघा मनचंदा / नई दिल्ली July 20, 2020 | | | | |
केंद्रीय मंत्रिमंडल वायरलाइन ब्रॉडबैंड पर लाइसेंस शुल्क घटाकर समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के 2.5 प्रतिशत से एजीआर का 1 रुपये करने के प्रस्ताव पर फैसला कर सकता है। इस कदम का मकसद इन सेवाओं का प्रसार करना है। मंत्रिमंडल इस प्रस्ताव पर अलगे सप्ताह विचार कर सकता है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि यह दूरसंचार क्षेत्र को दूरसंचार विभाग (डीओटी) की ओर से दिया गया राहत पैकेज होगा। विभाग को वित्त मंत्रालय ने काम सौंपा था कि वह दूरसंचार उद्योग को राहत देने के दमों का खाका तैयार करे, जो कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए की गई देशबंदी से प्रभावित हुआ है। माना जा रहा है कि इस प्रस्ताव से सेवा प्रदाताओं को 9,000 करोड़ रुपये की राहत मिल सकती है।
मामले से जुड़़े अधिकारी ने कहा, 'इससे ब्रॉडबैंड सेवाओं की पहुंच में सुधार होगा और कम लाइसेंस शुल्क से कंपनियों को फायदा पहुंचेगा। यह प्रस्ताव है कि इसे एजीआर के 2.5 प्रतिशत से घटाकर एजीआर का 1 रुपये किया जाए और अगले सप्ताह मंत्रिमंडल इस पर चर्चा कर सकता है।' सरकार को उम्मीद है कि इससे ब्रॉडबैंड कनेक्शन की संख्या बढ़ेगी। इस प्रस्ताव को डिजिटल संचार आयोग (डीसीसी) ने मंजूरी दी ती, जो दूरसंचार क्षेत्र में निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय है। इस समय वायरलाइन ग्राहकों का देश में आधार बमुश्किल 2 प्रतिशत है और केंद्र सरकार के प्रस्ताव से इसमें तेज बढ़ोतरी होने की संभावना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत ब्रॉडबैंड ग्राहकों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान देता है तो इससे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बढ़ोतरी होगी। उदाहरण के लिए अगर टेली डेंसिटी 10 है तो जीडीपी 1 प्रतिशत है और हर टेली डेंसिटी में हर 10 प्रतिशत बढ़ोतरी पर जीडीपी में 1 प्रतिशत बढ़ोतरी होगी। सरकार को यह भी उम्मीद है कि बॉडबैंड नेटवर्क बेहतर होने का मतलब है कि देश में डिजिटल व्यापकता बढ़ेगी और इससे बढ़े हुए वस्तु एवं सेवा कर से खजाने में ज्यादा राजस्व आएगा। इन सेवाओं पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
अधिकारी ने कहा, 'इसमें सरकार के लिए 2 राजस्व चैनल है। एक- लाइसेंस शुल्क और दूसरा जीएसटी।' दूरसंचार बाजार कुल 2.5 लाख करोड़ रुपये का है, जिसमें से वायरलाइन और इंटरप्राइज कारोबार मिलाकर 1 लाख करोड़ रुपये का है और शेष हिस्सेदारी मोबाइल सेवाओं की है।
|