कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए जीवन रक्षक दवा रेमडेसिविर की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अमेरिकी फार्मा कंपनी माइलन ने डेसरेम ब्रांड के तहत अपने उत्पाद की शुरुआत की है। कंपनी ने 24/7 हेल्पलाइन भी शुरू की है जहां मरीज और स्वास्थ्य सेवा पेशेवर रेमडेसिविर दवा और इसकी उपलब्धता के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 4,800 रुपये कीमत वाली इस दवा का निर्माण बेंगलूरु में कंपनी के अत्याधुनिक केंद्र में किया जाएगा जो भारत और अन्य ऐसे निर्यात बाजारों की मांग को पूरा करने का काम करेगा जहां माइलन ने रेमडेसिविर के कारोबार के लिए गिलियड से लाइसेंस प्राप्त किया हुआ है। भारत और अन्य उभरते बाजारों में कंपनी के अध्यक्ष राकेश बामजई ने कहा कि देश भर में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर माइलन इस वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में अपने प्रयास जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है। डेसरेम और अपनी देशव्यापी 24/7 हेल्पलाइन की शुरुआत से हमारा उद्देश्य इस महत्त्वपूर्ण दवा की पहुंच को बढ़ाना है जिसका इस्तेमाल कोविड-19 के गंभीर लक्षण वाले वयस्कों और बच्चों के इलाज के लिए किया जाता है। रेमडेसिविर सिप्ला द्वारा सिप्रेमि और हेटेरो द्वारा कोविफोर ब्रांडों के तहत भी बेची जा रही है। जहां सिप्ला ने इंजेक्शन वाली इस दवा के दाम 4,000 रुपये प्रति शीशी रखे हैं, वहीं हेटेरो ने इसकी कीमत 5,400 रुपये रखी है। इन दोनों ही कंपनियों ने भी हेल्पलाइन शुरू की हुई है जिसके माध्यम से वे दवा की उपलब्धता और कीमत की जानकारी साझा करती हैं ताकि काला बाजारी को रोका जा सके। घरेलू बाजार में हेटेरो अब तक इस दवा की 20,000 शीशियों की आपूर्ति कर चुकी है। खबरों के अनुसार सिप्रेमि के विनिर्माण के लिए जिस सॉवरिन फार्मा के साथ अनुबंध किया गया है, उसके पास प्रति महीना 95,000 शीशी निर्माण क्षमता है।ऑक्सफर्ड के कोविड टीके में दिखी प्रतिरोधक क्षमता ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि उनके प्रायोगिक कोरोना वायरस टीके ने शुरुआती परीक्षण में सैकड़ों लोगों में सुरक्षात्मक प्रतिरोधक प्रतिक्रिया उत्पन्न की है, जिन्हें यह टीका लगाया गया था। ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने पहली बार अप्रैल में लगभग 1,000 लोगों में टीके का परीक्षण शुरू किया था, जिनमें से आधे लोगों को प्रायोगिक टीका लगाया गया था। इस तरह के शुरुआती परीक्षणों को आमतौर पर केवल सुरक्षा का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है, लेकिन इस मामले में विशेषज्ञ यह भी देखना चाह रहे थे कि इसकी किस तरह की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होगी। लांसेट नामक पत्रिका में सोमवार को प्रकाशित शोध में, वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्होंने पाया कि उनके प्रायोगिक कोविड-19 टीके ने 18 से 55 वर्ष की आयु के लोगों में दोहरी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय में जेनर इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. एड्रियन हिल ने कहा, 'हम लगभग हर किसी में अच्छी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया देख रहे हैं।' भाषा
