सरकार को भरोसा है कि वह 2020-21 में भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) का निजीकरण पूरा कर लेगी। इस समय सरकार कोविड-19 के कारण राजस्व जुटाने के लिए जूझ रही है। उम्मीद की जा रही है कि अधिकारी जल्द ही बीपीसीएल के अधिग्रहण कर सकने वाले संभावित खरीदारों के साथ एक और दौर की बैठक करेंगे, जिनमें सऊदी अरामको और रोसनेफ्ट के अलावा अन्य कंपनियां शामिल हैं। बीपीसीएल की नुमालीगढ़ रिफाइनरी में हिस्सेदारी बेचने पर भी सरकार आगे बढ़ रही है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'कोविड-19 के कारण कुछ व्यवधान हुआ है। लेकिन अब बीपीसीएल से संबंधित मामले पटरी पर हैं।' अधिकारी ने कहा कि वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से क्षमतावान खरीदारों के साथ बैठक जल्द ही आयोजित की जाएगी। पिछले वित्त वर्ष के अंत में हुई बैठकों के बाद की यह बातचीत होगी। साथ ही सूत्रों ने यह भी पुष्टि की कि सरकारी कंपनी ऑयल इंडिया (ओआईएल) ने बीपीसीएल प्रबंधन को लिखकर कहा है कि ओआईएल और इंजीनियर्स इंडिया (ईआईएल) का एक कंसोर्टियम नुमालीगढ़ रिफाइनरी में 48 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने को इच्छुक है। इस 48 प्रतिशत में से करीब 10 प्रतिशत ईआईएल का हिस्सा होगा। इससे कंसोर्टियम पर 5,500 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत आ सकती है। सरकारी तेल विपणन कंपनी के निजीकरण की पूर्व शर्तों में से एक शर्त बीपीसीएल का असम स्थित रिफाइनरी से अलग होना भी है, जैसा कि मंत्रिमंडल ने पिछले साल मंजूरी दी थी। इसके पहले ओआईएल ने निवेश एवं सार्वजनिक प्रबंधन विभाग (दीपम) को पत्र लिखा था कि कंपनी नुमालीगढ़ में बीपीसीएल की हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने को इच्छुक है। दिलचस्प है कि असम सरकार ने एनआरएल सौदे को इस शर्त पर मंजूरी दी थी कि एनआरएल में 13.65 प्रतिशत हिस्सेदारी राज्य को बेची जाएगी, जिससे राज्य सरकार की इसमें हिस्सेदारी 12.35 प्रतिशत से बढ़कर 26 प्रतिशत हो जाएगी। इस समय एनआरएल में बीपीसीएल की हिस्सेदारी 61.65 प्रतिशत और ओआईएल की 26 प्रतिशथ है। अधिग्रहण के बाद ओआईएल की अपनी हिस्सेदारी इस कंपनी में बढ़कर करीब 64 प्रतिशत हो जाने की संभावना है। सूत्रों ने संकेत दिए कि बीपीसीएल के निजीकरण की योजना में लेन देन सलाहकार डेलॉयट ने बीपीसीएल प्रबंधन से संपर्क साधा है और एनआरएल का वित्तीय ब्योरा मांगा है। बीपीसीएल को लेकर भारत की और वैश्विक दिग्गज कंपनियां अभी दिलचस्पी दिखा रही हैं और वे बोली की प्रक्रिया का हिस्सा बन सकती हैं, भले ही कोविड 19 के कारण वैश्विक मंदी चर रही है और कच्चे तेल की कीमतें ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गई थीं। अप्रैल के आखिर में यूएस डब्ल्यूटीआई क्रूड के दाम शून्य डॉलर प्रति बैरल से नीचे चले गए थे वहीं ब्रेंट क्रूड की कीमतें फिसलकर 20 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई थीं। उसके बाद से कीमतों में सुधार हो राह है और डब्ल्यूटीआई और ब्रेंट दोनों का कारोबार 40 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर हो रहा है। 2020-21 के लिए विनिवेश लक्ष्य 2.1 लाख करोड़ रुपये है। एलआईसी के आरंभिक सार्वजनिक पेशकश और बीपीसीएल से बड़े सौदे की उम्मीद है। निजीकरण के अन्य अभ्यर्थियों में एयर इंडिया. कॉनकोर और शिपिंग कॉर्प शामिल हैं। एक दूसरे अधिकारी ने कहा, 'बीपीसीएल का सौदा सफल होने से न सिर्फ सरकार के खजाने में बहुप्रतीक्षित धन आएगा बल्कि इससे सरकार की निजीकरण की योजना को लेकर भारतीय व वैश्विक निवेशकों की गंभीरता का भी पता चलेगा।' निजीकरण के इन अभ्यर्थियों के अलावा मंत्रिमंडल जल्द ही नए रणनीतिक क्षेत्र नीति को मंजूरी दे सकता है और सरकारी बैंकों सहित तमाम और कंपनियों की आने वाले वर्षों में बिक्री हो सकती है। कोविड-19 संकट और लॉकडाउन के कारण मंदी ने कर राजस्व का लक्ष्य प्रभावित किया है। केंद्र को अब विनिवेश और गैर कर राजस्व जैसे सरकारी बैंकों व इकाइयों के लाभांश और रिजर्व बैंक से धन मिलने की उम्मीद है। बीपीसीएल के लिए रुचि पतत्र जमा करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई की गई है और आगे और तिथि बढऩे की संभावना है। शुक्रवार को बंदी के समय बीपीसीएल का मूल्य 96,293 करोड़ रुपये था, जिसमें केंद्र की 52.98 प्रतिशत यानी 51,016 करोड़ रुपये हिस्सेदारी है। एमके ग्लोबल की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि लेन देन सलाहकारों को बेहतर प्रीमियम बोली की उम्मीद है और बीपीसीएल का मूल्य 1.2 लाख करोड़ रुपये या इससे ज्यादा हो सकता है। सऊदी अरामको, रोसनेफ्ट, एडनॉक, एक्सॉनमोबिल सहित कुछ वैश्विक तेल दिग्गज बोली में शामिल हो सकती हैं। बीपी के साथ रिलायंस इंडस्ट्रीज के भी दौड़ में शामिल होने की संभावना है।
