... दीवाली तक रुकेगी सोने की तस्करी! | राजेश भयानी / मुंबई July 19, 2020 | | | | |
केरल के बड़े स्वर्ण तस्करी मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को उम्मीद है कि सोने की तस्करी कुछ समय के लिए या कम से कम दीवाली तक रुक जाएगी। हालांकि सूत्र यह बात नहीं नकार रहे हैं कि अगर यह नहीं रुकती है तो इसका दीर्घकालिक असर पड़ेगा या मंदी आएगी।
सोने की तस्करी की जांच अब तक सीमा शुल्क विभाग और राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) द्वारा की जाती थी क्योंकि सीमा शुल्क अधिनियम के तहत एनआईए को सोने की तस्करी की जांच करने का वैधानिक निर्देश नहीं है। सूत्र यह भी बताते हैं कि एनआईए को सोने की तस्करी सुलझाने में विशेषज्ञता प्राप्त नहीं है जो अब तक डीआरआई का क्षेत्राधिकाररहा है।
पहले यूएई के वाणिज्यदूतावास के साथ काम करने वाली और फिर केरल के सचिवालय से जुड़ी एक महिला स्वप्न प्रभा सुरेश यूएई से राजनयिक सामान (जिसे निरीक्षण से छूट मिली होती है) में 30 किलोग्राम सोना छिपाकर लाई थी। उसे हाल में त्रिवेंद्र्रम अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पकड़ा गया था। शुरुआत में सीमा शुल्क विभाग ने जांच आरंभ की थी, लेकिन बाद में एनआईए को मामले की जांच के लिए कहा गया। एनआईए इस मामले की जांच गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत किसी आतंकवादी के तौर पर कर रही है।
वर्ष 2013 में भी राजनयिक सामान से तस्करी करके लाया गया सोना पकड़ा गया था जिसकी जांच डीआरआई द्वारा की गई थी। ऐसे मामले में एनआईए द्वारा पहली बार जांच की जा रही है। कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और एनआईए इस गिरोह द्वारा अब आयात की जा चुकी कई खेपों की जांच करने वाली है।
सूत्रों ने कहा कि सोने की तस्करी में एनआईए का प्रवेश एक संवेदनशील घटना है क्योंकि वह मास्टर माइंड और गिरोह के उस अगले स्तर तक जाने की कोशिश करेगी जिन्हें तस्करी वाला सोना बेचा गया था। बाजार के सूत्रों का मानना है कि एनआईए की जांच के डर से तस्करी की गतिविधियां फिलहाल रुक जाएंगी। हाालांकि यह भी संभव है कि तस्करी पर यह लगाम लंबे समय तक लगी रहे और दीवाली के बाद भी जारी रहे।
सामान्य अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का परिचालन न होने से भी सोने की तस्करी पर असर पड़ रहा है। इससे अवैध गतिविधियों पर रोक लगने की उम्मीद है। मेटल फोकस की रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्ष 119 टन सोना अवैध रूप से भारत में आया था।
अब तक सोने की तस्करी में जांच आमतौर पर पकड़े गए व्यक्ति पर और कभी-कभार जौहरी पर ही समाप्त होती रही है। बाजार पर इसका असर पहले ही देखा जा चुका है। पिछले कुछ महीनों से आधिकारिक आयात लगभग शून्य रहने से नए सोने की आपूर्ति खत्म होना, बाजार में अवैध सोने की आपूति में रुकावट और कीमतों में तेजी के कारण निवेश की मांग बढऩा, बाजार मूल्य में छूट खत्म हो चुकी है और अब दाम आयात लागत से कम प्रीमियम पर बोले जा रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि दो प्रकार के ग्राहकों के लिए सोने की तस्करी की जाती है। एक तो रिटेल के लिए है जहां पर्यटक जैसे कैरियर भी इस्तेमाल किए जाते हैं, जबकि दूसरे प्रकार में केरल की स्वर्ण तस्करी जैसा मामला रहता है जिसमें संभवत: कुछ राजनेताओं या भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को आपूर्ति की जाती है। एनआईए की जांच में तस्करी के तौर-तरीकों की तह तक पहुंचने की उम्मीद है। इस घटनाक्रम पर निगाह रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि केरल में तस्करी अब निश्चित रूप से रुक जाएगी। तस्कर किसी आतंकवादी स्लीपर सेल की तरह काम कर रहे हैं जहां प्रत्येक स्तर पर यह नहीं पता होता कि अगले स्तर पर ऊपर या नीचे कौन है। उनके लिए मास्टर माइंड को जानना मुश्किल रहता है। वे बस सोना लेते हैं। उन्हें इसे भारत लाना होता है और जहां उन्हें बताया जाता है, वहां इसे पहुंचाना या छोडऩा होता है तथा शृंखला चलती रहती है। और एनआईए उस मामले की जांच कर रही है जिसके तार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़े हुए हैं तथा सोने की तस्करी की आय का इस्तेमाल भारत में आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है।
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