गलत निर्णय | संपादकीय / July 19, 2020 | | | | |
प्रीमियम टैरिफ प्लान के मामले में वोडाफोन आइडिया को अंतरिम राहत प्रदान करके दूरसंचार विवाद निस्तारण एवं अपील पंचाट (टीडीसैट) ने समय पर उचित निर्णय लिया है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने उसके प्रीमियम टैरिफ प्लान रेडएक्स पर रोक लगा दी थी और कहा था कि यह कम भुगतान करने वाले ग्राहकों के साथ भेदभाव है। जब भारती एयरटेल की ऐसी ही एक योजना पर रोक लगाई गई थी तब कंपनी ने कोई कानूनी कदम नहीं उठाया था। अपील पंचाट ने अपने स्थगन आदेश में कहा, प्रथम दृष्ट्या ट्राई के प्रीमियम प्लान को निलंबित करने के निर्णय के उचित कारण नहीं नजर आते। नियामक ने प्लान को निलंबित करने के लिए दलील दी कि इसे फिलहाल स्थगित करके वह पेशकश की विस्तृत जांच कर पाएगा। पंचाट के मुताबिक उसकी यह दलील तीन कारणों से गलत है।
पहला, इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं जो यह दिखाते हों कि ऊंची कीमत चुकाने वाले पोस्ट पेड वायरलेस ग्राहकों को उच्च गति से डेटा मुहैया कराना अन्य उपभोक्ताओं को किसी भी तरह प्रभावित करता हो। दोनों तरह के उपभोक्ताओं को खुद चयन की गई योजनाओं और मूल्य के अनुसार डेटा स्पीड और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। ऐसे में भेदभाव जैसी कोई बात ही नहीं है। दूसरा, अलग-अलग कीमत और डेटा स्पीड वाली कई योजनाएं फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड में भी लंबे समय से हैं लेकिन उन पर कभी किसी ने सवाल नहीं उठाया। यदि फिक्स्ड लाइन की पेशकश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत को ठेस नहीं पहुंचाती तो वायरलेस प्रीमियम प्लान से भी ऐसा नहीं होना चाहिए। विश्व स्तर पर दूरसंचार कंपनियां वायरलेस और फिक्स्ड लाइन सेवाओं के लिए ऐसी पेशकश देती हैं जो किसी भी अन्य सेवा क्षेत्र के बाजार गणित के अनुरूप हों।
तीसरा, ट्राई की यह दलील भी गलत है कि दूरसंचार कंपनियों ने प्रीमियम प्लान के जरिये नेट निरपेक्षता के नियम का उल्लंघन किया है। नेट निरपेक्षता के बुनियादी सिद्धांत के मुताबिक आईएसपी, इंटरनेट पर मौजूद तमाम विधिक सामग्री को सभी उपयोगकर्ताओं तक समान रूप से पहुंचाने में सक्षम रहे और किसी खास वेबसाइट या सेवा को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए। नेट निरपेक्षता सेवा प्रदाताओं को किसी खास ऑनलाइन सेवा के लिए डेटा स्पीड कम करने से भी रोकता है। इसका कहना है कि हर सामग्री के साथ समान व्यवहार होना चाहिए। कंपनियों के प्रीमियम प्लान ऑनलाइन सामग्री तक पहुंच नहीं रोक रहे, न ही दूसरों की गति धीमी कर रहे हैं तो नेट निरपेक्षता का उल्लंघन होने का प्रश्न ही नहीं है। इतना ही नहीं यदि नियामक को प्रीमियम प्लान पर आपत्ति थी तो उसे पहले ही कंपनियों से बात करनी थी। वोडाफोन आइडिया का रेडएक्स प्लान नवंबर 2019 में लॉन्च हुआ था और ट्राई का फैसला आठ महीने बाद जुलाई में रिलायंस जियो की शिकायत के बाद आया है। बिना सभी पक्षों को सुने प्लान बंद करना ट्राई का पूर्वग्रह दिखाता है जो उद्योग के हित में नहीं है।
ट्राई को अपनी जांच जारी रखने को कहा गया है और उसे 17 अगस्त को अगली सुनवाई के पहले इसे हल करने का प्रयास करना चाहिए। भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया के कुल ग्राहकों में महज 5 फीसदी पोस्ट पेड हैं। ऐसे में अपने ही उपभोक्ताओं की डेटा स्पीड कम करके अपना नुकसान क्यों करेंगे? 95 फीसदी प्रीपेड ग्राहकों से ही इन कंपनियों की कमाई होती है और वे इन्हें अपने प्रतिद्वंद्वियों के हाथों गंवाने का जोखिम नहीं उठाना चाहेंगी। दूसरी ओर रिलायंस जियो पूरी तरह प्रीपेड मॉडल पर काम करती है और वह चाहेगी कि शेष दो सेवा प्रदाताओं के ऊंची कीमत चुकाने वाले पोस्ट पेड ग्राहकों का एक हिस्सा भी उसकी झोली में आ जाए।
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