ज्यादा नकदी वाली योजनाएं तेजी के लाभ से रह सकती हैं वंचित | जश कृपलानी / मुंबई July 18, 2020 | | | | |
मजबूत नकदी स्तर वाली इक्विटी योजनाएं हाल में आई तेजी में दर्ज लाभ से वंचित रह सकती हैं, क्योंकि ऐसे फंडों में ज्यादा नकदी ने उन्हें इस तेजी में पूरी तरह भागीदार बनने से रोका है।
प्राइमडेटाबेस डॉटकॉम से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, लगभग 11 स्मॉल-कैप योजनाओं ने जूनन के अंत में अपने परिसंपत्ति आधार का 7 प्रतिशत हिस्सा नकदी में बनाए रखा। आधा दर्जन लार्ज-कैप योजनाओं और पांच स्मॉल-कैप योजनाओं ने भी 7 प्रतिशत हिस्सा नकदी में बनाए रखा।
मॉर्निगस्टार इंडिया के निदेशक (एमएफ-रिसर्च) कौस्तुभ बेलापुरकर ने कहा, 'अक्सर, आप इक्विटी योजनाओं में ज्यादा नकदी स्तर रखना नहीं चाहते हैं, इसके बजाय काफी हद तक निवेशित पोर्टफोलियो को पसंद करते हैं। निवेशक जरूरत के हितसाब से अपनी नकदी के बारे में निर्णय ले सकते हैं और ऐसे उत्पाद मौजूद हैं जो पुन: संतुलन की अनुमति देते हैं, जैसे डायनेमिक ऐसेट आवंटन फंड।'
सेंसेक्स 23 मार्च के निचले स्तर से 41 प्रतिशत से ज्यादा चढ़ा है। तब 30 शेयर वाले इस सूचकांक में इस साल अब तक के संदर्भ में 37 प्रतिशत की गिरावट आ गई थी। उद्योग के जानकारों का कहना है कि कुछ योजनाओं में कोविड-19 के पहले के महीनों में भी ऊंचा नकदी स्तर था, जबकि कुछ मामलों में इससे बाजार में आई गिरावट के प्रभाव को दूर करने में मदद मिली। इक्विटी फंड बिकवाली दबाव से निपटने के लिए अक्सर अपनी होल्डिंग का 5 प्रतिशत हिस्सा नकदी और नकदी समान निवेश में बनाए रखते हैं।
ज्यादा नकदी स्तर के लिए फंड प्रबंधकों के उस नजरिये को भी जिम्मेदार माना जा सकता है कि बाजार का मूल्यांकन अधिक है और गिरावट का अगला दौर आ सकता है। ब्रोकिंग कंपनियां ऊंचे मूल्यांकन को लेकर भी सतर्कता बरतने की सलाह दे रही हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषकों ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कहा है, 'मूल्यांकन अब सस्ता नहीं है। निफ्टी 20.4 गुना के पी/ई (कीमत-आय अनुपात) पर कारोबार कर रहा है, जो एलपीए के मुकाबले 15 प्रतिशत महंगा है।' विश्लेषकों का कहना है, 'मूल्यांकन में वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही से सुधार दिख रहा है, जिससे किसी नकारात्मक आश्चर्य से बचने के लिए सीमित गुंजाइश रह गई है।'
विश्लेषकों का कहना है कि फंड प्रबंधकों को सतर्क रहना चाहिए क्योंकि नकदी पर जोर देने से फंड के प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ सकता है। एक फंड हाउस के मुख्य कार्याधिकारी ने कहा, 'फंड प्रबंधक इस तरह की रणनीति से अनिश्चितता की स्थिति महसूस कर सकते हैं, क्योंकि पिछले अनुभवों से पता चलता है कि हाजिर बाजार की तह में जाना और नकदी लगाना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है और बाजार में उतार-चढ़ाव खराब प्रदर्शन का कारण बन सकता है।'
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