मकानों की बिक्री में कोरोना का रोड़ा | पुनीत वाधवा / नई दिल्ली July 16, 2020 | | | | |
सुस्त बिक्री और बिना बिके मकानों के अंबार से परेशान रियल एस्टेट उद्योग की कमर कोविड महामारी और उसे रोकने के लिए हुई देशबंदी ने तोड़ ही दी है। मुंबई, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), बेंगलूरु, पुणे, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता और अहमदाबाद जैसे आठ बड़े महानगरों में मकानों की बिक्री इतनी सुस्त है, जितनी पिछले 10 साल में कभी नहीं हुई थी और दफ्तरों के लिए इतनी जगह खाली पड़ी है, जितनी पिछले 4 साल में नहीं दिखी थी।
नाइट फ्रैंक इंडिया की ताजा रिपोर्ट के अनुसार मांग कम होने के कारण आठों बड़ेक शहरों में मकानों की कीमत 2020 की पहली छमाही में अच्छी खासी गिर गई है। कोलकाता में मकानों के दाम सबसे ज्यादा 7.5 फीसदी घटे हैं। इन शहरों में पहली छमाही में केवल 59,538 मकान बिके, जबकि पिछले साल की पहली छमाही में बिक्री का आकड़ा 1,29,285 था यानी मकानों की कुल बिक्री 54 फीसदी घट गई है।
नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट में कहा गया है, 'खस्ताहाली इसी से पता चलती है कि इस साल अप्रैल-जून में इन आठ शहरों में बिक्री पिछले साल अप्रैल-जून के मुकाबले 84 फीसदी गिर गई और नई परियोजनाओं की शुरुआत भी 90 फीसदी कम हो गई। एनसीआर, चेन्नई और हैदराबाद में तो मकान बिक ही नहीं पाए, मजदूरों की किल्लत और मांग का टोटा देखकर बाकी बाजारों में भी डेवलपरों ने नई परियोजनाएं टाल दीं।' दफ्तरों का हाल भी ऐसा ही है। नाइट फ्रैंक के मुताबिक अप्रैल-जून में यह बाजार ठप सा हो गया और नए सौदों तथा परियोजनाओं में पिछले साल अप्रैल-जून के मुकाबले 79 फीसदी कमी आई। रिपोर्ट कहती है कि इस साल पहली छमाही में केवल 1.72 करोड़ वर्ग फुट दफ्तर संपत्तियों के सौदे हुए जो जनवरी-जून, 2019 के मुकाबले 37 फीसदी कम रहे। मांग में सबसे ज्यादा 47 फीसदी गिरावट पुणे में और 45 फीसदी गिरावट एनसीआर में दिखी। मुंबई में सौदों में 17 फीसदी गिरावट आई। अलबत्ता मुंबई को दो बड़े सौदों ने बचा लिया क्योंकि कुल सौदों में आधे से ज्यादा योगदान उन्हीं दोनों का रहा। नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, 'आवास क्षेत्र में तेज सुधार की उम्मीद नहीं है। पहले मांग बढ़े, गिरावट थमे, उसके बाद तेजी आएगी। दफ्तरों की मांग तब बढ़ेगी, जब लोग दफ्तर जाना शुरू करेंगे।'
महामारी की वजह से कई कंपनियां अपने कर्मचारियों से घर से ही काम करा रही हैं, जिसकी वजह से सभी महानगरों में दफ्तरों की जगह खाली हो गई है। खर्च कम करने के लिए कंपनियां पट्टे आगे नहीं बढ़ा रहीं। इस वजह से दफ्तरों के किराये भी घट गए हैं। एनसीआर में औसत मासिक किराया 8.8 फीसदी घटकर 844 रुपये प्रति वर्ग मीटर ही रह गया है। आठों शहरों में पहली छमाही के दौरान 14.1 फीसदी ज्यादा दफ्तर खाली हो गए।
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