भारत द्वारा डिजिटल सेवाओं पर कर लगाने पर आपत्ति जताते हुए गूगल, एमेजॉन, फेसबुक और ईबे जैसी तकनीकी कंपनियों का संगठन इंटरनेट एसोसिएशन अमेरिका की सरकार पर भारत के खिलाफ प्रतिरोधी शुल्क लगाने का दबाव डाल रहा है। उनका तर्क है कि भारत द्वारा लगाया गया 2 फीसदी का इक्वलाइजेशन शुल्क गैर-वाजिब और अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ भेदभाव करने वाला है। संगठन ने यूएस व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) द्वारा पिछले महीने धारा 301 के तहत शुरू की गई जांच में यह प्रतिक्रिया दी है। इस बीच भारत ने 2 फीसदी इक्वलाइजेशन कर लगाने के कदम का बचाव किया है और कहा कि यह पक्षपातपूर्ण नहीं है। भारत ने कहा कि यह कर विश्व व्यापार संगठन और अंतरराष्ट्रीय कराधान समझौते के अनुरूप है। हालांकि आईबीएम, यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स तथा कंज्यूमर टेक्नोलॉजी एसोसिएशन के साथ ही एडोबी, 3एम और एक्सेंचर ने प्रतिरोधी शुल्क लगाने का विरोध किया है। उनका तर्क है कि इससे अमेरिकी कंपनियों को ही नुकसान होगा और यूएसटीआर से इस मसले पर बहुपक्षीय समाधान पर काम करने की अपील की। अमेरिका ने तकनीकी कंपनियों पर 2 फीसदी डिजिटल कर लगाए जाने को लेकर भारत के खिलाफ जांच शुरू की है। इसमें यह देखा जाएगा कि क्या यह कर एमेजॉन, गूगल और फेसबुक जैसी अमेरिकी कंपनियों को अनुचित तरीके से लक्षित करने के लिए लगाया गया है। इसके साथ ही इसने ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, इंडोनेशिया, इटली, स्पेन, तुर्की और यूरोपीय संघ सहित 9 अन्य देशों के खिलाफ भी डिजिटल सेवा कर को लेकर जांच शुरू की है। इस मामले में सार्वजनिक प्रतिक्रिया देने की अंतिम तिथि 15 जुलाई थी। अमेरिका व्यापार कानून की धारा 301 यूएसटीआर को व्यापार साझेदार की ऐसी नीतियों की जांच करने का अधिकार देती है जो अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण या प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली हो सकती है। गूगल, नेटफ्लिक्स, माइक्रोसॉफ्ट जैसी 40 दिग्गज तकनीकी कंपनियों का संगठन इंटरनेट एसोसिएशन ने अपनी टिप्पणी में कहा, 'संगठन धारा 301 के तहत जांच करने के लिए यूएसटीआर सराहना करता है। डिजिटल उद्योग का मानना है कि भारत में इक्वलाइजेशन शुल्क गैर-वाजिब और अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ भेदभाव करने वाला है।' इसने आगे कहा कि यह कर 1 अप्र्रैल, 2020 से प्रभावी है लेकिन अभी भी कई अहम चीजों को स्पष्ट नहीं किया गया है। इस बीच, कंप्यूटर हार्डवेयर दिग्गज कंपनी ने डिजिटल कर मसले का आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन प्रारूप के तहत बहुपक्षीय समाधान निकालने पर जोर दिया है और प्रतिरोधी शुल्क का पुरजोर विरोध किया है। आईबीएम में सरकार और नियामकीय मामलों के उपाध्यक्ष क्रिस्टोफर पैडिला ने कहा, 'कई तकनीकी कंपनियों ने धारा 301 के तहत जांच का समर्थन किया है लेकिन आईबीएम का रुख इससे अलग है। हमारा मानना है कि एकपक्षीय प्रतिरोधी शुल्क लगाने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है।'
