तकनीक पर अंबानी का जोर | |
अमृता पिल्लई / मुंबई 07 15, 2020 | | | | |
निजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने आज अपनी पहली वर्चुअल सालाना आम बैठक खुद के जियोमीट प्लेटफॉर्म पर की। आरआईएल का यह कदम उस दिशा में है, जिसमें कंपनी के प्रवर्तक मुकेश अंबानी ने आरआईएल को आगामी दशक में तकनीकी कंपनी बनाने और शुद्ध कार्बन उत्सर्जन शून्य करने की योजना बनाई है।
आरआईएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने शेयरधारकों से कहा कि तकनीकी और उपभोक्ता कंपनी के रूप में आरआईएल ने तेज वृद्धि के तीन इंजन बनाए हैं। अंबानी आरआईएल का भविष्य खुदरा नए वाणिज्यिक कारोबार, तेल से लेकर रसायन और जियो प्लेटफॉम्र्स पर बनाना चाहते हैं, लेकिन उनके भाषण में तकनीक पर ही जोर रहा। उन्होंनेे कहा कि 5जी स्पेक्ट्रम उपलब्ध होने पर 5जी सेवाओं पर परीक्षण शुरू होंगे। उन्होंने कहा कि अगले साल तक 5जी की शुरुआत हो सकती है। जियो गूगल के साथ मिलकर ऐंड्रॉयड आधारित स्मार्टफोन ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने पर भी विचार कर रही है।
अंबानी ने अपने ऊर्जा कारोबार में जियो प्लेटफॉम्र्स का मॉडल अपनाने की योजना बनाई है। आरआईएल अपने ऊर्जा कारोबार को एक प्लेटफॉर्म कंपनी में तब्दील करने पर भी विचार कर रही है। इसमें बहुत से वैश्विक वित्तीय निवेशकों, प्रतिष्ठित तकनीकी साझेदारों और स्टार्टअप का समूह भविष्योन्मुखी समाधानों पर काम करेगा। इसके अलावा आरआईएल ने वर्ष 2035 तक तक कार्बन उत्सर्जन शून्य करने का लक्ष्य रखा है, इसलिए यह एक नई ऊर्जा और नई सामग्री कंपनी बनाने के बारे में विचार कर रही है। अंबानी ने कहा, 'रिलायंस कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की उपयोगकर्ता बनी रहेगी। लेकिन हम अपनी कार्बनडाईऑक्साइड को उपयोगी उत्पादों एवं रसायनों में बदलने के लिए नई तकनीक अपनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।' अंबानी के तकनीक पर दांव से कंपनी को कर्ज मुक्त बनाने का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिली है। उन्होंने कहा, 'जुटाई गई पूंजी वित्त वर्ष 2019-20 के आखिर में हमारे शुद्ध कर्ज 1,61,035 करोड़ रुपये से काफी अधिक है। अब रिलायंस सही मायने में शून्य शुद्ध कर्ज वाली कंपनी बन गई है।'
रिलायंस की पिछली सालाना आम बैठक में कहा गया था कि सऊदी अरामको आरआईएल के तेल-गैस कारोबार में 20 फीसदी हिस्सेदारी लेना चाहती है। हालांकि आज अंबानी ने कहा, 'ऊर्जा बाजार में अप्रत्याशित हालात और कोविड-19 के कारण यह सौदा मूल समयसीमा के अनुसार आगे नहीं बढ़ पाया। हमारी इक्विटी जरूरतें पहले ही पूरी हो चुकी हैं।' इसके बजाय जियो में निवेश और आरआईएल के राइट इश्यू से जरूरी पूंजी जूटाने में मदद मिली है। उन्होंने कहा, 'रिलायंस सऊदी अरामको के साथ अपने दो दशक पुराने संबंधों को बहुत अहमियत देती है और लंबी अवधि की साझेदारी को लेकर प्रतिबद्ध हैं।'
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