थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर में लगातार तीसरे महीने में गिरावट आई है और यह जून में 1.81 प्रतिशत रह गई।खाद्य वस्तुओं खासकर आलू, फलों और प्रसंस्कृत उत्पादों की महंगाई दर में कुछ बढ़ोतरी के बावजूद ऐसा हुआ है। आम धारणा के विपरीत जून महीने में टमाटर के दाम कम रहे, जो कि एक साल पहले की समान अवधि में बहुत ज्यादा थे।सरकार ने अप्रैल महीने में महंगाई दर के आंकड़े जारी नहीं किए थे क्योंकि लॉकडाउन के कारण कुछ क्षेत्रों में कीमतों के आंकड़े नहीं जुटाए जा सके। बहरहाल चुनिंदा स्रोतों से प्रतिक्रिया में सुधार के बाद सरकार ने मंगलवार को अप्रैल के भी आंकड़े जारी किए, जिससे पता चलता है कि इस महीने में अवस्फीति की दर 1.57 अंकों पर रही थी।उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के विपरीत रुख दिखाते हुए डब्ल्यूपीआई में खाद्य महंगाई जून महीने में 2.04 प्रतिशत हो गई, जो मई में 1.13 प्रतिशत थी। इसकी मुख्य वजह बारिश के कारण आया व्यवधान है। विनिर्नित खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर बढ़कर जून में 5.05 प्रतिशत हो गई, जो मई में 4.46 प्रतिशत थी। खुदरा खाद्य के दाम पर दबाव ज्यादा था, उसके बावजूद इन वस्तुओं की सीपीआई महंगाई दर जून महीने में घटकर 7.87 प्रतिशत रह गई, जो इसके पहले महीने में 9.20 प्रतिशत थी।इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नैयर ने कहा, 'थोक और खुदरा महंगाई दर में अंतर का स्तर कम हुआ है। हाल के सप्ताहों में सब्जियों के दाम में बहुत तेजी आई है, जिसे देखते हुए जुलाई 2020 में भी थोक खाद्य महंगाई दर में तेजी जारी रहने की संभावना है।'सूचकांक में अन्य वस्तुओं की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत के करीब है, जिनकी कीमतों में गिरावट जारी है। उदाहरण के लिए ईंधन और बिजली की श्रेणी में जून में अवस्फीति 13.60 प्रतिशत रही, हालांकि यह इसके पहले के महीने के 19.83 प्रतिशत की तुलना में कम है। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है।
