कच्चे हीरे का आयात 82 प्रतिशत लुढ़का | राजेश भयानी / मुंबई July 14, 2020 | | | | |
रत्न और आभूषण के निर्यात में जून 2020 के दौरान गिरावट नजर आ रही है। इस अवधि में यह 34.72 प्रतिशत गिरकर 164.749 करोड़ डॉलर के स्तर पर आ गया है, जबकि जून 2019 के दौरान यह 252.374 डॉलर था। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के शुरुआती आंकड़ों के अनुसार अप्रैल से जून 2020 के दौरान कुल रत्नाभूषण का सकल निर्यात 54.79 प्रतिशत गिरकर 2.75 अरब डॉलर रह गया है।
हालांकि कच्चे हीरों के आयात में जून तिमाही के दौरान 82 प्रतिशत तक की तीव्र गिरावट आई है जिससे निर्यात के लिए तराशे हीरों का स्टॉक कम करने में मदद मिली है। देश और दुनिया में महामारी की वजह से लॉकडाउन के बाद आभूषण क्षेत्र को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। हॉन्ग कॉन्ग में अशांति ने इसका परिदृश्य और बिगाड़ा है। जून में तराशे हुए हीरों और स्वर्णाभूषण का बड़ा योगदान रहा है।
जीजेईपीसी के चेयरमैन कॉलिन शाह ने कहा कि हमने लॉकडाउन के आंशिक रूप से खुलने के बाद अप्रैल और मई की तुलना में निर्यात में कुछ सुधार देखा है। अलबत्ता हमें ऐसे उपाय और सुधार करने की आवश्यकता है जिनसे उद्योग में कारोबारी सुगमता सुदृढ़ हो और साथ ही उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने की भी जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के साथ हुई हमारी बैठकों में आश्वासन दिया गया है कि इन मसलों पर गौर किया जाएगा और समय-समय पर समीक्षा के जरिये इस संबंध में ध्यान दिया जाएगा।
जून के महीने में तराशे हुए हीरों का निर्यात 46.91 प्रतिशत लुढ़ककर 89.832 करोड़ डॉलर रह गया। जून में समाप्त होने वाली तिमाही में यह 49.68 प्रतिशत गिरकर 180.171 करोड़ डॉलर रहा।
जून में स्वर्णाभूषण का निर्यात 40.72 प्रतिशत घटकर 23.705 करोड़ डॉलर रहा, जबकि तिमाही के आखिर में यह निर्यात 79 प्रतिशत घटकर 153.657 करोड़ डॉलर रहा।
कुल रत्नाभूषण का सकल आयात अप्रैल 2020 से जून 2020 के बीच 74.81 प्रतिशत गिरकर 91.514 करोड़ डॉलर रह गया, जबकि अप्रैल 2019 से जून 2019 के दौरान 363.287 करोड़ डॉलर का आयात दर्ज किया गया था।
कच्चेहीरों का सकल आयात अप्रैल 2020 से जून 2020 के दौरान 82.70 प्रतिशत की गिरावट दर्ज करते हुए 48.165 करोड़ डॉलर रहा, जबकि अप्रैल 2019 से जून 2019 के दौरान 278.413 करोड़ डॉलर का आयात दर्ज हुआ था।
आयात में इस गिरावट से प्रसंस्करणकर्ताओं के पास पड़े पुराने स्टॉक को निपटाने में मदद मिली है। जून के दौरान भारत में कच्चे हीरों के आयात पर स्वैच्छिक रोक थी। इसने भी स्टॉक में कमी लाने में मदद की है। हालांकि कोविड-19 के मामलों में अचानक तेजी के बाद सूरत के हीरा प्रसंस्करणकर्ताओं द्वारा स्वैच्छिक लॉकडाउन और श्रमिकों द्वारा मूल राज्यों में लौटने से जुलाई में प्रसंस्करण पर असर पड़ेगा।
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