बैंक कर्मचारियों के वेतन पर होगी बात | सोमेश झा / नई दिल्ली July 14, 2020 | | | | |
सरकारी बैंकों का प्रबंधन 22 जुलाई को मजदूर संगठन के नेताओं के साथ वेतन को लेकर बातचीत बहाल करने जा रहा है। कोरोनावायरस के प्रसार से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होने के बाद पहली बार यह बातचीत होने जा रही है।
बैंक प्रबंधन का प्रतिनिधित्व करने वाले इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) 22 जुलाई को मुंबई में वार्ता समिति की बैठक रखी है। यह करीब 5 महीने बाद वेतन पर बातचीत को लेकर पहली बैठक होने जा रही है। इसके पहले कोरोनावायरस के कारण की गई देशबंदी के पहले 29 फरवरी को बैठक हुई थी।
इस बैठक का महत्त्व बहुत ज्यादा है क्योंकि यह पहला मौका होगा, जब कोविड-19 का बैंकों की स्थिति पर पड़े असर को ध्यान में रखते हुुए बात होगी। कुछ निजी बैंकों और सरकारी बैंकों में वेतन में बदलाव नवंबर 2017 से ही लंबित है, जो अक्टूबर 2022 तक 5 साल के लिए होगा।
आईबीए की टीम का नेतृत्व यूनियन बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी राजकिरण राय जी करेंगे, जो वार्ता समिति के चेयरमैन हैं। वहीं बैंक यूनियनों का यूनाइटेड फोरम बैंक कर्मचारियों की ओर से बैठक में हिस्सा लेगा।
पहले की बैठक में आईबीए ने वेतन में बढ़ोतरी की अपनी पेशकश पे स्लिप लागत पर 15 प्रतिशत कर दी थी। दूसरे शब्दों में कहें तो बैंकों के वेतन के बिल में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी की पेशकश की गई थी, जिनमें वेतन व मिलने वाले अन्य मानदेय जैसे पेंशन व भुगतान वाली छुट्टी शामिल होती है। इससे बैंकों पर करीब 8,000 करोड़ रुपये बोझ पडऩे का अनुमान है। लेकिन इसमें कोविड-19 के असर पर उस समय विचार नहीं किया गया था।
फरवरी की बैठक के पहले बैंक यूनियनों ने मार्च में 3 दिन की हड़ताल बुलाई थी, जो बातचीत आगे बढऩे के कारण टाल दी गई थी। पिछले 3 साल में असंतोषजनक वेतन वृद्धि को लेकर हड़ताल का आयोजन करने वाले यूनियन के नेताओं का कहना है कि अब नए सिरे से बातचीत होगी।
बैंक यूनियन के एक शीर्ष नेता ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, 'महामारी का निश्चित रूप से बैंकों की भुगतान क्षमता पर असर पड़ेगा, खासकर ऐसी स्थिति में जब हम लाखों बैंक कर्मचारियों के वेतन पर बात करने जा रहे हैं।'
पिछले कुछ दिनों में आईबीए ने यूनियन के नेताओं से अनौैपचारिक बातचीत की है। यूनियन के नेता ने कहा, 'अब कोविड-19 असर को शामिल किए बगैर वेतन पर कोई बातचीत बेमानी होगी। निजी क्षेत्र ने भी लागत को तार्किक बनाने के कदम उठाए हैं, साथ ही केंद्र सरकार भी अपने कर्मचारियों को अतिरिक्त महंगाई भत्ता नहीं दे रही है।'
|