सबसे बड़ी चुनौती से जूझ रहा एडवेंट्ज समूह | देव चटर्जी / मुंबई July 12, 2020 | | | | |
हाल के वर्षों तक सरोज कुमार पोद्दार की अगुआई वाला एडवेंट्ज समूह अन्य कारोबारी घरानों से दबाव वाली परिसंपत्तियों के अधिग्रहण को लेकर सुर्खियां बनाता रहा था, जिसमें विजय माल्या की मेंगलूर केमिकल्स ऐंड फर्टिलाइजर्स का अधिग्रहण शामिल है। यह अधिग्रहण प्रतिस्पर्धी दीपक फर्टिलाइजर्स से बोली की लड़ाई जीतने के बाद हुआ।
एक साल बाद समूह की एक अन्य कंपनी टेक्समेको रेल ऐंड इंजीनियरिंग ने अपनी प्रतिस्पर्धी कालिंदी रेल निर्माण (इंजीनियर्स) का अधिग्रहण किया और रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर बिजनेस में वह अहम कंपनी बन गई। पोद्दार की मूल कंपनी जुआरी एग्रो केमिकल्स की स्थिति ऐसी थी कि करीब-करीब हर बैंकर विलय-अधिग्रहण की पेशकश के साथ पोद्दार के कार्यालय का रुख करते थे।
लेकिन जल्द यह माहौल खत्म हो गया और समूह कर्ज के पुनर्भुगतान में देर करने लगा और बैंकर इस समूह के भविष्य को लेकर चिंतित हुए। पिछले हफ्ते समूह की मूल कंपनी ने कोविड-19 महामारी के कारण कामगारों की अनुलब्धता का हवाला देते हुए अपना एनपीके-ए उर्वरक संयंत्र बंद करने का ऐलान किया। उसी समय मंगलूर केमिकल्स ने भी स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित किया कि उसके ऊपर बैंकों का 224 करोड़ रुपये बकाया है।
समूह के बैंकरों का कहना है कि समूह की मूल कंपनी की राइट्स इश्यू के जरिए 400 करोड़ रुपये जुटाने की योजना को टाल दिया गया है और मौजूदा महामारी ने बिक्री व उत्पादन पर अवरोध पैदा किया है, जिससे वे चिंतित हैं। एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा, आगे की राह मुश्किल नजर आ रही है, लेकिन अगर समूह समय पर अपनी परिसंपत्तियां बेचने में कामयाब होता है तो वह संकट से उबरने में सक्षम होगा, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि महामारी से उसके उत्पादन पर आगे अवरोध पैदा न हो।
मूल कंपनी की समस्या पिछले साल अप्रैल में शुरू हुई जब उसने लेटर ऑफ क्रेडिट के भुगतान में देर करना शुरू किया। वित्तीय समस्या जल्द ही और गहरी हो गई और फर्म कई और कर्ज के भुगतान में नाकाम रही। इंडिया रेटिंग्स ने पिछले साल मार्च में उसकी ऋण प्रतिभूतियों को डाउनग्रेड कर डिफॉल्ट श्रेणी में डाल दिया।
पिछले वित्त वर्ष में कंपनी के संयंत्र ज्यादातर समय बंद रहे और यूरिया प्लांट ने जनवरी में उत्पादन शुरू किया। गेल को भी गैस की आपूर्ति बंद करनी पड़ी जब कंपनी उसका बकाया चुकाने में नाकाम रही। जब जुआरी एग्रो यूरिया सब्सिडी एस्क्रो खाते में जमा कराने पर सहमत हुई तब गेल ने आपूर्ति बहाल करने का फैसला लिया। इसी खाते से गेल को भुगतान किया जाएगा।
बैंकरों ने कहा कि जनवरी से कंपनी अपनी देनदारी का भुगतान करने में सफल रही है, जिसकी वजह प्रवर्तकों की तरफ से दिया गया 274 करोड़ रुपये का असुरक्षित कर्ज है। सरकार की तरफ से सब्सिडी जारी होने और बाजार से संग्रह से भी मदद मिली। कंपनी ने जुआरी फार्म हब (पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक) की 30 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया, जिसके तहत स्पेशियलिटी फर्टिलाइजर्स, रिटेल, क्रॉप प्रोटेक्शन और क्रॉपकेयर कारोबार की परिसंपत्तियां हस्तांतरित की गई। हिस्सेदारी बिक्री मौजूदा वर्ष में पूरी होने की उम्मीद है और इससे मिलने वाली रकम का इस्तेमाल जुआरी एग्रो की बैलेंस शीट को दुरुस्त करने में होगा।
समूह की मूल कंपनी कर्ज चुकाने के लिए वित्त वर्ष 21 के आखिर तक अतिरिक्त जमीन और उर्वरक परिसंपत्तियां बेचने की भी योजना बना रही है।
वित्त वर्ष 20 के नतीजे की घोषणा करते समय उसने 802 करोड़ रुपये के नुकसान का ऐलान किया था, लेकिन कंपनी ने सरकार से सब्सिडी मिलने में देरी और प्रमुख बाजारों में सूखे जैसी स्थिति को नकदी प्रोफाइल में गिरावट की वजह बताया।
कंपनी ने कहा, आगे की राह बेहतर नजर आ रही है, जिसकी वजह बैंकों की तरफ से उसकी समाधान योजना को मंजूरी देना व परिसंपत्तियों की बिक्री है। 2 जनवरी के बाद से सभी लेनदारों के खाते अब स्टैंडर्ड हैं। साथ ही अलग-अलग संयंत्रों में परिचालन शुरू हुआ क्योंकि कच्चे माल व कार्यशील पूंजी उपलब्ध हो गए। इन सभी चीजों को देखते हुए इक्रा ने अप्रैल में रेटिंग बी यानी स्थिर कर दी। लेकिन कंपनी की सुधार की योजना अब विलय योजना पर निर्भर है। मोरक्को का ओसीपी समूह और जुआरी अपने गोवा प्लांट के विलय के आकलन या पारादीप फॉस्फेट 28 करोड़ डॉलर के मूल्यांकन पर करने के लिए सहमत हो गए हैं। इस लेनदेन से जुआरी को अपना कर्ज घटाने में मदद मिलेगी। अभी जुआरी एग्रो और ओसीपी के पास जुआरी मेरोक फॉस्फेट में 50-50 फीसदी हिस्सेदारी है। इस वजह से पारादीप फॉस्फेट में उसकी हिस्सेदारी 80.45 फीसदी है जबकि बाकी सरकार के पास है।
जुआरी एग्रो के कुछ अल्पांश शेयरधारक इस विलय का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह कंपनी को होल्डिंग कंपनी में तब्दील कर देगा। सूचीबद्ध जुआरी एग्रो में एडवेंट्ज समूह की 65 फीसदी हिस्सेदारी है।
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