कमजोर इक्विटी प्रवाह से एएमसी की आय को झटका | श्रीपाद ऑटे / मुंबई July 11, 2020 | | | | |
ऐसे समय में जब इक्विटी में खुदरा भागीदारी बढ़ रही है, पिछले तीन महीने के दौरान शुद्ध इक्विटी अंतरप्रवाह में लगातार गिरावट आने से निवेशक एचडीएफसी एएमसी और निप्पॉन लाइफ इंडिया एएमसी (निप्पॉन एएमसी) जैसी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों की संभावनाओं को लेकर चिंतित हैं।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों के अनुसार, जून में उद्योग का शुद्ध इक्विटी अंतरप्रवाह चार साल के निचले स्तर तक लुढ़क गया। इस प्रकार, बाजार में तेजी के बावजूद इन एएमसी के शेयरों में गुरुवार को 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। जबकि बीएसई सेंसेक्स में 1.1 फीसदी की बढ़त रही। वास्तव में इक्विटी श्रेणी में बाजार की अग्रणी कंपनी एचडीएफसी एएमसी और निप्पॉन एएमसी के शेयरों में मार्च के आरंभ से अब तक 21 से 25 फीसदी के दायरे में गिरावट आई है। जबकि सेंसेक्स में इस दौरान करीब 4 फीसदी की गिरावट आई।
एम्फी के आंकड़ों से पता चलता है कि जून में इक्विटी केंद्रित योजनाओं से शुद्ध अंतरप्रवाह में सालाना आधार पर 97 फीसदी की गिरावट आई जबकि मासिक आधार पर उसमें 95 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इस प्रकार जून में इक्विटी केंद्रित योजनाओं में निवेश घटकर 240.6 करोड़ रुपये रह गया। जून तिमाही में यह सालाना आधार पर करीब 34 फीसदी घटकर 11,710 करेाड़ रुपये रह गया। सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में निवेश की रफ्तार सुस्त पड़ गई और जून में सालाना आधार पर उसमें 2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। रिलायंस सिक्योरिटीज के विश्लेषक विनोद मोदी के अनुसार, 'कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति (एयूएम) में इक्विटी फंड की अधिक हिस्सेदारी के मद्देनजर कमजोर इक्विटी अंतरप्रवाह से निकट भविष्य में एएमसी की वृद्धि और राजस्व को झटका लग सकता है।' साथ ही, इक्विट में अधिक मार्जिन होने के कारण इससे एएमसी की लाभप्रदता पर भी कुछ दबाव पड़ सकता है। हालांकि दीर्घावधि में एएमसी के प्रदर्शन को लेकर मोदी का नजरिया सकारात्मक है।
वित्त वर्ष 2019-20 के आंकड़ों के अनुसार, एचडीएफसी एएमसी और निप्पॉन एएमसी के कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों में इक्विटी श्रेणी की हिस्सेदारी 42 से 43 फीसदी है जबकि राजस्व में हिस्सेदारी 74 से 75 फरीसदी है। फिलिप कैपिटल के अनुसार, इक्विटी योजनाओं के लिए प्रबंधन शुल्क मार्जिन डेट योजनाओं के मुकाबले दोगुना से अधिक है।
भारतीय उद्योग जगत की आय में भारी गिरावट के साथ कारोबार में सुधार को लेकर आशंका के कारण शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव को बल मिल रहा है। सेंसेक्स मार्च की भारी गिरावट के बाद अब तक करीब 41 फीसदी सुधर चुका है लेकिन जनवरी की ऊंचाई के मुकाबले वह अब भी 13 फीसदी नीचे है। इस उतार-चढ़ाव से मौजूदा एयूएम प्रभावित होगी और इस प्रकार एएमसी के प्रदर्शन प्रभावित होगा। बीएस रिसर्च ब्यूरो द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, बीएसई में सूचीबद्ध सभी कंपनियों का औसत बाजार पूंजीकरण जून तिमाही के अंत में घटकर 127.18 लाख करोड़ रुपये रह गया जबकि मार्च तिमाही में यह आंकड़ा 146.39 लाख करोड़ रुपये और एक साल पहले 151.4 लाख करोड़ रुपये रहा था। निर्मल बांग के अनुसंधान प्रमुख सुनील जैन ने कहा कि कमजोर अंतरप्रवाह के कारण एयूएम में बढ़त की रफ्तार प्रभावित हो रही है जबकि बाजार में उतार-चढ़ाव से एएमसी की मौजूदा एयूएम प्रभावित हो रही है जिससे आगे उसके प्रदर्शन को झटका लगेगा।
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