खाद्य तेल आयात में गिरावट के आसार | राजेश भयानी / मुंबई July 10, 2020 | | | | |
लॉकडाउन से होटल, रेस्तरां और खानपान सेवा आदि से संबंधित क्षेत्र की 15 से 20 लाख टन की खाद्य तेल मांग को नुकसान पहुंचा है। इस तेल वर्ष (19 नवंबर से 20 अक्टूबर) के दौरान खाद्य तेल आयात में 13 फीसदी तक की गिरावट आने का अनुमान है। मात्रा के लिहाज से यह गिरावट लगभग 20 लाख टन होगी। पिछले छह साल में आयात की यह सबसे कम मात्रा है। वर्ष 2013-14 में खाद्य तेल का आयात 1.162 करोड़ टन था।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा कि खाद्य तेल की घरेलू खपत 2.3 करोड़ टन है, लेकिन इस तेल वर्ष में इसमें 20 लाख टन से अधिक गिरावट आने के आसार हैं जिससे इस साल खाद्य तेल आयात में इतनी ही मात्रा मेंं कमी लाने में मदद मिलेगी। उनका यह अनुमान भी है कि घरेलू तिलहन की फसल अच्छी रही है और खरीफ की तिलहन बुआई भी आशाजनक है। किसान अपने पास बीज बचाकर नहीं रख रहे हैं और प्रसंस्करणकर्ता भी स्टॉक की पेराई कर रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप घरेलू उपलब्धता बेहतर है।
पिछले नवंबर में शुरू होने वाले इस तेल वर्ष के दौरान जून तक 81 लाख टन वनस्पति तेल का आयात किया जा चुका है जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 14.5 फीसदी तक कम है। प्रमुख गिरावट रिफाइंड तेल में कमी की वजह से होगी। सरकार द्वारा इसे प्रतिबंधित तेल वाली जिंस में रखे जाने के बाद इसका आयात लगभग बंद हो चुका है। आयात शुल्क बढ़ाने का भी प्रस्ताव था। अगर इसे लागू किया जाता, तो आयात पर दबाव और बढ़ सकता था। इसका अर्थ यह है कि आयातित तेल का हिस्सा लगभग 62 फीसदी रहेगा जो तीन साल पहले अनुमानित रूप से 74 फीसदी था।
इस बीच पिछले एक सप्ताह के दौरान सरकार ने खाद्य तेल क्षेत्र को विनियमित करने वाले दो बड़े फैसले किए हैं। खुली पैकिंग में खाद्य तेल की बिक्री को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है, यहां तक कि खुदरा स्तर पर भी। इससे उपभोक्ताओं के लिए लागत में मामूली इजाफा हो सकता है, लेकिन इससे बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित होगी। सूत्रों ने कहा कि जिस क्षेत्र में ग्राहक गरीब हैं, वहां खुदरा स्तर पर सस्ते तेल का मिश्रण स्वीकृत स्तर से बहुत अधिक है।
भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने 7 जुलाई को एक दिशानिर्देश जारी किया है जिसमें मिश्रित खाद्य वनस्पति तेल (बीईवीओ) के आयात से पहले एगमार्क का प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य किया गया है। यह स्पष्ट दिशानिर्देश जारी होने से पड़ोसी देशों से बीईवीओ का तथाकथित आयात बंद हो जाएगा। हाल के महीनों में कुछ आयातक लागत कम रखने के लिए मिश्रित तेल का आयात कर रहे थे। हालांकि यह भारतीय मानकों के अनुरूप नहीं था और इसलिए आयातित खाद्य तेल के लिए एगमार्क के प्रमाणपत्र की आवश्यकता से ऐसे आयात पर रोक लग जाएगी।
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