भारत की ट्रेन-18 की दौड़ में चीनी कंपनी शामिल | शाइन जैकब / नई दिल्ली July 10, 2020 | | | | |
भारत व चीन के संबंध ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर हैं, वहीं पड़ोसी देश की सरकारी कंपनी सीआरआरसी चीन एकमात्र विदेशी कंपनी बनकर उभरी है, जो महत्त्वाकांक्षी ट्रेन-18 की वैश्विक बोली में हिस्सा लेने जा रही है। इसके साथ 5 अन्य भारतीय कंपनियां इस बोली में शामिल होंगी। सीआरआरसी कॉर्पोरेशन चीन की सरकारी रोलिंग स्टॉक विनिर्माता है। टेंडर में हिस्सा लेने वाली भारतीय कंपनियों में भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स और हैदराबाद की मेधा ग्रुप शामिल हैं, जो 44 ट्रेन सेट के लिए प्रोपल्सन सिस्टम या इलेक्ट्रिक ट्रैक् शन किट खरीदने का काम करेंगी, जो पहली ट्रेन-18 परियोजना का हिस्सा थीं। इसे वंदे भारत एक्सप्रेस के नाम से भी जाना जाता है जिसे 15 फरवरी 2019 को शुरू किया गया था। पहले रैक पर 100 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जिसमें से करीब 35 करोड़ रुपये प्रोपल्सन सिस्टम पर खर्च हुए थे। इस हिसाब से देखें तो 44 ट्रेन सेट के लिए मौजूदा टेंडर 1,500 करोड़ रुपये से ज्यादा का है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने कहा, 'ट्रेन सेट टेंडर के लिए हमें 6 कंपनियों से बोली मिली है।' महत्त्वाकांक्षी रेल परियोजना के लिए जरूरी सामान खरीदने के लिए यह तीसरा टेंडर है।
43 ट्रेन की बोली में 18 सेट के लिए पहले आमंत्रण दिया गया, लेकिन सिर्फ 3 के लिए ऑर्डर दिया गया, जिसमें स्पैनिश दिग्गज सीएएफ और मेधा ग्रुप शामिल थीं और उन्होंने पहली वंदे भारत ट्रेन की आपूर्ति की। इसके बाद दूसरा टेंडर 37 ट्रेन 18 प्रोपल्सन सिस्टम के लिए जारी हुआ, जिसे रद्द कर दिया गया।
दिलचस्प है कि मौजूदा टेंडर में इस क्षेत्र की दिग्गज कंपनियां बॉम्बॉर्डियर, एलस्टम, सिमेंस, सीएएफ, टालगो और मित्सुबिसी शामिल नहीं हैं। पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हिंसक टकराव के बाद चीनी कंपनी इसमें हिस्सा लेने जा रही है। हिंसक झड़प के बाद रेलवे ने चीन की कंपनी द्वारा 4017 किलोमीटर के कानपुर दीन दयाल उपाध्यास सेक् शन के सिग्नलिंग व टेलीकम्युनिकेशन के काम को रद्द कर दिया था।
उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि अगली ट्रेन 18 आने में कम से कम ढाई साल लग सकते हैं। इसका मतलब हुआ कि रेलमंत्री पीयूष गोयल ने संसद में 27 नवंबर को जो सूचना दी थी, उससे चूक होगी। गोयल ने संकेत दिए थे कि आईसीएफ में 2019-20 में 160 कोच, 2020-21 में 240 और 2021-22 में 240 कोच के उत्पादन की योजना है।
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