म्युचुअल फंड निवेशकों को क्लोज-एंडेड योजनाओं में कम प्रतिफल | जश कृपलानी / मुंबई July 10, 2020 | | | | |
कैलेंडर वर्ष 2020 में परिपक्व हो रही क्लोज-एंडेड इक्विटी योजनाओं में म्युचुअल फंड (एमएफ) निवेशकों को अच्छा प्रतिफल मिलने की संभावना नहीं दिख रही है, क्योंकि इनमें से ज्यादातर योजनाओं का प्रदर्शन अब तक खराब रहा है।
वैल्यू रिसर्च से प्राप्त आंकड़े के अनुसार, अगले कुछ महीने परिपक्व हो रहीं 14 योजनाओं में से 10 ने अपनी शुरुआत की तारीख से बेंचमार्क की तुलना में कमजोर प्रदर्शन किया है, और अन्य का प्रदर्शन काफी हद तक अपने संबंधित सूचकांकों के समान रहा है।
विश्लेषकों का कहना है कि ये फंड मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों पर केंद्रित थे, जिनका प्रदर्शन उ?मीद के अनुरूप नहीं रहा।
मॉर्निंगस्टार में म्युचुअल फंड शोध निदेशक कौस्तुभ बेलापुरकर ने कहा, 'लार्ज-कैप में भी, हमें कुछ ही शेयर अच्छा प्रदर्शन करते दिखे हैं। मिड-कैप और स्मॉल-कैप सेगमेंटों में, यह अंतर और भी ज्यादा है। कुछ शेयर मल्टी-बैगर रहे हैं, जबकि निवेश पूंजी में बड़ी गिरावट के मामले भी दिखे हैं।'
विश्लेषकों का कहना है कि क्लोज-एंडेड इक्विटी योजनाओं में निवेश ज्यादा अच्छा नहीं रहा है, क्योंकि कुछ शेयर फंड प्रबंधकों की उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन करने में विफल रहे हैं। इनमें से कुछ योजनाएं वैल्यू शेयरों पर केंद्रित थीं, हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि वृद्घि से जुड़ी निवेश रणनीतियों ने हाल के वर्षों में बेहतर परिणाम दिया है।
प्लान रुपी इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के संस्थापक अमोल जोशी ने कहा, 'कई क्लोज-एंड इक्विटी योजनाएं बाजार में भारी गिरावट के बाद 2016-17 में जारी की गई थीं, निवेशकों की दिलचस्पी नोटबंदी के बाद मजबूत थी। हालांकि कुछ क्षेत्रों और शेयरों में सुधार अभी बाकी है।' उन्होंने कहा कि पीएसयू बैंक जैसे सेगमेंट (इन योजनाओं में फंड प्रबंधकों की अच्छी दिलचस्पी थी) में फिर से मजबूत सुधार देखा जाना बाकी है।
सलाहकारों का कहना है कि निवेशक इन योजनाओं की परिपक्वता के बाद कोष को पुन: निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। जोशी ने कहा, 'यदि ये निवेश निवेशकों के लिए इक्विटी आवंटन का हिस्सा हैं और इसे फंड की अगले दो वर्षों तक जरूरत नहीं हैं, तो वे इसे ओपन-एंडेड इक्विटी योजनाओं में पुन: निवेश कर सकते हैं।'विश्लेषकों का कहना है कि इसके अलावा, भारत और दुनियाभर में कोविड-19 वैक्सीन की खोज को लेकर चल रही चर्चाएं बाजार में सुधार को लगातार बढ़ावा दे सकती हैं।
उद्योग के कारोबारियों का कहना है कि कमजोर प्रतिफल और क्लोज-एंडेड योजनाओं पर नियामकीय सख्ती की वजह से इन योजनाओं का आकर्षण बढऩे की संभावना नहीं दिख रही है।
उद्योग के सूत्रों के अनुसार, बाजार नियामक सेबी ने इस तरह की योजनाओं को मंजूरी दिए जाने के संबंध में सख्ती बरती है।
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