भूषण पावर ऐंड स्टील (बीपीएसएल) मामले की सुनवाई शुरू होने के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के लिए दिवालिया संहिता (आईबीसी) के अन्य विवादास्पद पहलू को निपटाने की चुनौती होगी।
हालांकि एस्सार स्टील के फैसले ने पात्रता और धारा 29ए को लेकर कुछ स्पष्टता प्रदान की है, लेकिन बीपीएसएल मामला नई धारा 32ए की प्रासंगिकता का परीक्षण होगा। यह धारा कॉरपोरेट देनदार को ताकत प्रदान करती है।
अक्टूबर 2019 में बीपीएसएल की परिसंपत्तियों (4,025 करोड़ रुपये मूल्य की) की जब्ती का आदेश जारी करने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जेएसडब्ल्यू-भूषण सौदे के लिए दिवालिया कानून की धारा 32ए के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है। इसके लिए ईडी ने दो कारण बताए हैं।
पहला, जेएसडब्ल्यू स्टील की समाधान योजना को धारा 32ए को पेश किए जाने से पहले अक्टूबर 2019 में राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) द्वारा मंजूरी दी गई थी। दूसरा, जेएसडब्ल्यू स्टील और बीपीएसएल संयुक्त उपक्रम फर्म रोन कोल कंपनी में सहायक हैं।
इस घटनाक्रम से जुड़े लोगों का कहना है कि इस मामले को सप्ताह के अंत में सुनवाई के लिए शामिल किया जा सकता है।
ईडी सर्वोच्च न्यायालय में ताजा अपील करने की संभावना तलाश रहा है। चूंकि इस मामले की सुनवाई का इंतजार हो रहा है, इसलिए हितधारकों (ऋणदाता और बोलीदाता दोनों) को उम्मीद है कि धारा के इस्तेमाल का मुद्दा सभी के लिए सुलझ जाएगा।
उन्हें आईबीसी और धन शोधन निवारक अधिनियम (पीएमएलए) के बीच क्लॉज को लेकर टकराव का मुद्दा भी सुलझ जाने की उम्मीद है। पीएमएलए के तहत परिसंपत्तियां जब्त की गई हैं। एनसीएलएटी ने ईडी को पीएमएलए के तहत जब्त बीपीएसएल की परिसंपत्तियों को मुक्त करने का आदेश दिया था।
खेतान ऐंड कंपनी में पार्टनर कुमार सौरभ सिंह का कहना है कि हालांकि कानून सामान्य तौर पर संभावित रूप से लागू होता था और धारा 32ए को एनसीएलटी की मंजूरी के बाद शामिल किया गया था, इसलिए यह अभी भी मौजूदा मामलों के लिए लागू बना रह सकता है। उन्होंने कहा, 'धारा 29ए एस्सार जैसे मामलों के लिए लागू थी, भले ही कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया इस क्लॉज को पेश किए जाने से पहले शुरू हो गई थी।'
धारा 32ए के इस्तेमाल की तरह, सर्वोच्च न्यायालय को आपराधिकता, और पीएमएलए के तहत परिसंपत्तियों की कुर्की पर निर्णय लेना है।
धारा 29ए का इस्तेमाल आईबीसी के तहत समाधान के लिए आरबीआई की पहली सूची में शामिल एस्सार स्टील, इलेक्ट्रोस्टील, और भूषण स्टील जैसे मामलों में किया गया था।
सिंह ने कहा, '29ए के बारे में पूरी तरह स्पष्टता है और इसमें कम कानूनी प्रक्रिया है।' उन्होंने कहा, 'बोलीदाता के नजरिये से, आईबीसी में सबसे ज्यादा विवादास्पद मुद्दा पात्रता रहा है। पात्रता और कराधान पर बहस सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुलझा ली गई है। आपराधिकता और परिसंपत्तियों की जब्ती के मुद्दे को सुलझाना बाकी है।'