टीका परीक्षण में लगेगा वक्त | सोहिनी दास और विनय उमरजी / July 07, 2020 | | | | |
देश के शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान ने भारत के स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन लाने के लिए जल्दबाजी में निर्धारित की गई समय सीमा से जुड़ी चिंताएं तो दूर कर दी हैं जिसके बाद अब यह क्लीनिकल साइटों पर निर्भर करता है कि उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए परीक्षण तेजी से कराए जाएं। जिन साइटों से बिज़नेस स्टैंडर्ड ने बात की है उनका कहना कि इस प्रक्रिया में वक्त लगेगा क्योंकि मरीजों के स्वेच्छा से भर्ती होने से पहले यह सब लॉजिस्टिक्स मिलने पर भी निर्भर करता है।
देश भर में निजी और सरकारी अस्पतालों सहित 12 साइटें हैं जो भारत बायोटेक के कोवैक्सीन के लिए पहले चरण और दूसरे चरण का मानव क्लीनिकल परीक्षण कर रही हैं। देश में इन 12 साइटों को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने जो पत्र लिखा था उसके आधार पर क्लीनिकल परीक्षण के लिए स्वेच्छा से भर्ती होने की प्रक्रिया 7 जुलाई से शुरू होनी थी। हालांकि अभी कम से कम तीन साइटों पर यह प्रक्रिया शुरू करनी बाकी है।
मिसाल के तौर पर बेलगाम में जीवन रेखा अस्पताल देश के 12 क्लीनिकल परीक्षण स्थलों में से एक है और जांचकर्ताओं आईसीएमआर और भारत बायोटेक से भी मरीजों की स्वेच्छा से कराई जाने वाली जांच के लिए भी इंतजार कर रहे हैं। इसी तरह ओडिशा के भुवनेश्वर में इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ऐंड एसयूएम हॉस्पिटल प्रायोजक कंपनी भारत बायोटेक द्वारा साइट इनीशिएशन विजिट (एसआईवी) का इंतजार कर रहा है। दक्षिण भारत की एक अन्य साइट ने बताया कि उन्होंने अभी मरीजों की जांच शुरू नहीं की है और साइट इनीशिएशन प्रक्रिया का इंतजार हो रहा है।
एक साइट का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, 'हम दो से तीन दिनों के भीतर मरीजों की भर्ती शुरू कर देंगे। हम पहले चरण के लिए 28 दिन की समयसीमा का पालन करेंगे। एक बार पहले चरण का परीक्षण पूरा हो जाने के बाद और आंकड़ों का विधिवत विश्लेषण करने के बाद हम दूसरे चरण का परीक्षण शुरू कर देंगे। इस पूरी प्रक्रिया में 180 दिन लग सकते हैं।' इस बीच जयपुर की एक साइट ने कहा कि वे वैक्सीन के नमूनों का इंतजार कर रहे हैं।
इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और एसयूएम अस्पताल में डॉ वेंटका राव ने कहा, 'एसआईवी यह जांचने के लिए किया जाता है कि क्लीनिकल परीक्षणों के लिए सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल पूरे किए जा रहे हैं या नहीं। अभी यह होना बाकी है और यह एक या दो दिन में पूरा हो जाना चाहिए। एसआईवी के बाद ही है कि साइट क्लीनिकल परीक्षणों के लिए स्वेच्छा से भर्ती होने वालों की जांच शुरू कर सकते है या फिर प्रायोजक से वैक्सीन के नमूने हासिल कर सकते हैं। क्लीनिकल परीक्षणों के लिए समयसीमा अब साइट पर आधारित है।'
इससे पहले आईसीएमआर ने वैक्सीन लाने की 15 अगस्त की समय सीमा से इनकार कर दिया। क्लीनिकल परीक्षण की विभिन्न साइटें की राय समयसीमा और परीक्षण के लिए प्रोटोकॉल का पालन करने को लेकर बंटी हुई है। कुछ ने कहा कि पहले चरण और दूसरे चरण की प्रक्रिया एक साथ होगी और परीक्षण एक महीने के भीतर खत्म हो सकता है जबकि ज्यादातर लोगों का मानना था कि इसके लिए समय सीमा तय करना असंभव है।
उदाहरण के लिए 12 साइटों में से एक नागपुर के गिलुरकर मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल के डॉ चंद्रशेखर गिलुरकर ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया था कि वैक्सीन दिए जाने के बाद (उसे शून्य दिन के रूप में गिना जाता है), साइट 14 दिनों तक या इससे थोड़े अधिक दिन इंतजार करेगी। दूसरी खुराक 14वें दिन से पहले दी जाएगी। दूसरी खुराक के बाद अपनी स्वेच्छा से भर्ती होने वाले इन लोगों की 14 दिनों के बाद फिर से जांच की जाएगी ताकि यह देखा जा सके कि क्या वे एंटीबॉडी विकसित कर रहे हैं। पहले और दूसरे चरण का परीक्षण 1,125 लोगों पर होगा जिनमें से 375 स्वयंसेवी पहले चरण में शामिल होंगे। सूत्रों से पता चलता है कि दूसरे चरण के समाप्त होने के बाद देश का दवा नियामक इस बात का फैसला ले सकता है कि कोई दूसरे सटीक इलाज के अभाव में कम से कम स्वास्थ्यकर्मियों पर इस्तेमाल के लिए वैक्सीन लॉन्च कर दी जाए।
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