डोभाल और वांग में वार्ता पीछे हटे चीन के सैनिक | अजय शुक्ला / नई दिल्ली July 06, 2020 | | | | |
लद्दाख की गलवान घाटी से चीन के सैनिकों के वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की तरफ 2 किलोमीटर तक पीछे हटने की खबर है। सोमवार को सरकारी सूत्रों के हवाले से यह खबर दी गई। चीन की सेना गलवान घाटी में पेट्रोलिंग पॉइंट 14 तक आ गई थी, जिसे भारत सरकार अपना क्षेत्र मानती है। हालांकि चीनी की सेना के पीछे हटने की खबर आधिकारिक नहीं है और न ही जमीनी स्तर पर इसकी पुष्टि हो पाई है। इससे पहले 6 जून को भी भारतीय सीमा में चुशुल में दोनों देशों के सैन्य प्रतिनिधियों के बीच ऐसी ही सहमति बनी थी, लेकिन जब भारतीय सैनिक चीन की सेना के पीछे हटने की पुष्टि करने के लिए गए तो उनकी झड़प हो गई थी। इस घटना में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।
रविवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने चीन के विदेशी मंत्री वांग ली के साथ टेलीफोन पर बात की थी। चीन के सैनिकों के पीछे हटने की खबर का दावा इसके एक दिन बाद आया है। सोमवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में भारत ने कहा कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिक हटाने और शांति बहाल करने पर सहमत हुए। दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तेजी से सैनिकों का जमावड़ा हटाने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए बातचीत जारी रखने पर सहमत हुए।
दूसरी तरफ चीन की ओर से दोनों पक्षों के बीच हुई बातचीत पर जारी अधिकारिक विज्ञप्ति में सैनिक 'हटाने' या 'तनाव कम करने' का कोई जिक्र नहीं हुआ। गलवान घाटी से चीन की सेना और सैन्य उपकरण हटने के सवाल पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्ष तनाव कम करने के लिए प्रभावी कदम उठा रहे हैं। चीन की तरफ से कहा गया, 'वांग ने डोभाल को बताया कि विकास की दिशा में बढऩा दोनों ही देशों के आपसी रणनीतिक हित में है।' चीन नेएक बार फिर 15 जून को हुई झड़प के लिए भारतीय सेना को जिम्मेदार ठहराया और गलवान घाटी पर अपना दावा दोहराया।
विदेश मामलों के मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया, 'चीन की सीमा के पश्चिमी हिस्से में गालवान घाटी में हाल में भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प की वजह पूरी तरह साफ है। चीन अपने क्षेत्र और अपनी संप्रभुता की रक्षा पूरी ताकत के साथ करेगा और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं सद्भाव बनाने पर जोर देगा।'
नई दिल्ली से जारी बयान में कहा गया कि कूटनीतिक एवं सैन्य स्तर पर बातचीत जारी रहेगी। भारतीय सेना में इस बात को लेकर चिंता है कि सेनाएं पीछे हटाने की दोनों देशों के बीच आपसी सहमति से भारत को कुछ हिस्सा गंवाना पड़ सकता है। उनके अनुसार चीन की सेना पहले ही उन क्षेत्रों में 2 किलोमीटर से अधिक अंदर तक घुस आई थी, जिस पर भारत हमेशा दावा करता रहा है। ऐसे में दोनों पक्ष तरफ अगर दो किलोमीटर पीछे हटते हैं तो एक चार किलोमीटर का एक सुरक्षित क्षेत्र बनेगा, जो पूरी तरह भारतीय सीमा में होगा। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि भारतीय सैनिकों ने पीपी 14, पीपी 15, पीपी 17 और पीपी 17ए तक निगरानी रखी है।
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