शीर्ष समूहों को मार्च तिमाही में हुआ घाटा | कृष्ण कांत और देव चटर्जी / मुंबई July 05, 2020 | | | | |
जनवरी से मार्च 2020 तिमाही के दौरान पारिवारिक स्वामित्व वाले शीर्ष कारोबारी समूहों को जबरदस्त झटका लगा। इस दौरान विशेष तौर पर उन समूहों का वित्तीय प्रदर्शन कमजोर रहा जिनका दूरसंचार और तेल, गैस, धातु एवं खनन जैसे जिंस कारोबार में अधिक निवेश था। चौथी तिमाही के दौरान पारिवारिक स्वामित्व वाले देश के शीर्ष 10 कारोबार समूहों (राजस्व के लिहाज से) में से छह ने समूह स्तर पर कर पूर्व घाटा दर्ज किया। उनके एकीकृत राजस्व में भी एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 9.4 फीसदी की गिरावट आई जो पिछले कई वर्षों में उनका सबसे खराब प्रदर्शन रहा।
शीर्ष 10 कारोबारी समूहों ने जनवरी से मार्च 2020 तिमाही के दौरान कुल मिलाकर 19,340 करोड़ रुपये का कर पूर्व घाटा दर्ज किया। जबकि एक साल पहले की समान अवधि में उन्होंने करीब 48,500 करोड़ रुपये का कर पूर्व लाभ दर्ज किया था और दिसंबर तिमाही में भी उन्होंने 39,600 करोड़ रुपये का कर पूर्व लाभ दर्ज किया था। वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में अन्य आय सहित शीर्ष 10 कारोबारी समूहों का एकीकृत राजस्व 5.03 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि वित्त वर्ष 2019 की चौथी तिमाही में यह आंकड़ा 5.56 लाख करोड़ रुपये और तीसरी तिमाही में 5.4 लाख करोड़ रुपये रहा था।
यह विश्लेषण देश में पारिवारिक स्वामित्व वाली सूचीबद्ध कंपनियों के एकीकृत वित्तीय नतीजों पर आधारित है। रिलायंस इंडस्ट्रीज, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, वेदांत, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स और ग्रासिम जैसी सूचीबद्ध होल्डिंग एवं परिचालन वाली कंपनियों की सूचीबद्ध सहायक इकाइयों के आंकड़ों को समायोजित किया गया है ताकि दोहरी गणना से बचा जा सके। गैर-लौह धातु, तेल एवं गैस क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांत को सबसे अधिक झटका लगा क्योंकि समूह ने तिमाही के दौरान 15,182 करोड़ रुपये का समेकित कर पूर्व घाटा दर्ज किया। इस दौरान समूह के राजस्व में 20 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। ऊर्जा कारोबार में नुकसान के कारण वित्तीय प्रदर्शन को झटका लगा। इसके बाद आदित्य बिड़ला और भारती समूहों का स्थान रहा। एकीकृत स्तर पर कर पूर्व घाटा दर्ज करने वाले अन्य समूहों में अदाणी, महिंद्रा और टाटा शामिल हैं। जबकि इसके विपरीत शिव नाडर के स्वामित्व वाले एचसीएल ग्रुप ने चौथी तिमाही के दौरान राजस्व और मुनाफे में दो अंकों में वृद्धि दर्ज की। अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन करने वाले अन्य समूहों में मुकेश अंबानी ग्रुप और बजाज समूह शामिल हैं। चौथी तिमाही के दौरान मुकेश अंबानी समूह ने पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 33 फीसदी की वृद्धि दर्ज की जबकि बजाज समूह ने 36 फीसदी की वृद्धि दर्ज की।
वेदांत के नुकसान की मुख्य वजह परिसंपत्ति इम्पेयरमेंट रहा क्योंकि उसने अपनी तेल एवं गैस इकाई केयर्न इंडिया में निवेश के बुक वैल्यू को मार्कडाउन कर दिया। कंपनी ने 2011 में केयर्न पीएलसी से केयर्न इंडिया का अधिग्रहण किया था। कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आने से तेल एवं गैस परिसंपत्तियों की भविष्य की लाभप्रदता को झटका लगा जिससे उसका नए सिरे से मूल्यांकन करना पड़ा। आदित्य बिड़ला ग्रुप के समेकित घाटे की मुख्य वजह काफी हद तक वोडाफोन आइडिया का नुकसान रहा। वोडाफोन आइडिया ने चौथी तिमाही के दौरान करीब 11,700 करोड़ रुपये का कर पूर्व घाटा दर्ज किया। दूरसंचार कारोबार को छोड़कर समूह ने मुनाफा दर्ज किया है।
मोबाइल कारोबार को छोड़कर समूह की सूचीबद्ध कंपनियों ने चौथी तिमाही के दौरान 710 करोड़ रुपये का एकीकृत कर पूर्व लाभ दर्ज किया जो एक साल पहले की समान तिमाही में दर्ज 2,816 करोड़ रुपये के मुकाबले 75 फीसदी कम है। समूह की प्रमुख कंपनी ग्रासिम इंडस्ट्रीज का कर पूर्व लाभ 84 फीसदी घट गया जबकि खुदरा कारोबार आदित्य बिड़ला फैशन ने तिमाही के दौरान घाटा दर्ज किया। हिंडाल्को इंडस्ट्रीज के मुनाफे में वृद्धि दर्ज की गई।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी सर्विसेज के प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम ने कहा, 'चौथी तिमाही के दौरान जिंस कीमतों में भारी गिरावट और कंपनियों द्वारा इम्पेयरमेंट शुल्क के कारण जिंस, दूरसंचार और वाहन क्षेत्र में काफी नुकसान दर्ज किया गया।' इसके मुकाबले फूड, स्टेपल्स, आईटी सेवा और वित्तीय सेवा जैसे क्षेत्रों में अधिक मौजूदगी वाले समूहों के राजस्व और मुनाफे में अपेक्षाकृत कम गिरावट रही।
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