निजी रेल की दौड़ में उतरे बड़े नाम | शाइन जैकब / नई दिल्ली July 05, 2020 | | | | |
निजी क्षेत्र की 151 रेलगाडिय़ां चलाने की भारतीय रेलवे की योजना में बड़े-बड़े नामों ने दिलचस्पी दिखाई है। इनमें टाटा, अदाणी समूह, अलस्टॉम और मयामी की कंपनी नॉर्वेजियन क्रूज लाइन शामिल हैं। उद्योग से जुड़े सूत्रों और इस क्षेत्र के विनिर्माताओं ने संकेत दिए हैं कि देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो और बड़े ऑनलाइन यात्रा पोर्टल मेकमाईट्रिप ने भी निजी ट्रेन दौड़ाने की संभावना के बारे में उनसे पूछताछ की है। मगर इंडिगो ने इसे 'अटकल' बताया और मेकमाईट्रिप ने संकेत दिया कि फिलहाल वह इस पर विचार नहीं कर रही है।
भारतीय रेलवे ने देश भर में 109 मार्गों पर 151 रेलगाडिय़ों के परिचालन के लिए पात्रता अनुरोध (आरएफक्यू) जारी कर निजी क्षेत्र की कंपनियों को आंमत्रित किया है। इन्हें 12 क्लस्टरों में बांटा गया है। आरएफक्यू चरण सितंबर तक पूरा होने की उम्मीद है और बोलियां फरवरी तक मंगाई जा सकती हैं। माना जा रहा है कि अगले साल अप्रैल तक इस प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा सकता है।
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया, 'टाटा, अदाणी, नॉर्वेजियन क्रूज लाइन, इंडिगो, मेकमाईट्रिप और भारत फोर्ज जैसी कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है और रेलगाड़ी तथा डिब्बे खरीदने के बारे में बात की है।' लेकिन टाटा और नॉर्वेजियन क्रूज लाइन ने इस बारे में बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। निजी रेल की दौड़ में दिल्ली की आरके एसोसिएट्स ऐंड होटेलियर्स भी शामिल हैं। इस कंपनी को देश की पहली निजी रेलगाड़ी तेजस एक्सप्रेस के लिए भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) से ठेका हासिल किया है। कंपनी की वेबसाइट पर कहा गया है कि वह निजी रेलगाडिय़ों के परिचालन में सक्षम है।
इन निजी रेलगाडिय़ों की अधिकतम रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा रहने की बात कही गई है। स्पेन की कंपनी टालगो की भारतीय इकाई के प्रबंध निदेशक सुब्रत नाथ ने कहा, 'निजी कंपनियां आएंगी तो रेलगाड़ी के डिब्बों की खरीद आसान तथा तेज होगी। इससे रोजगार भी आएगा क्योंकि यह मेक इन इंडिया के मुताबिक होगा। हरेक कारखाने से करीब 40,000 लोगों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रोजगार मिल सकता है। 2016 में हमने परीक्षण किया था और साबित किया भारतीय पटरियों पर हमारी गाड़ी बहुत तेज दौड़ सकती है।'
भारतीय रेलवे के अनुसार इस कदम से यात्रियों की बढ़ती मांग पूरी करने और प्रतीक्षा सूची छोटी करने में मदद मिलेगी। आंकड़ों के मुताबिक 2019 में 840 करोड़ लोगों ने भारतीय रेल से सफर किया, लेकिन यह साल में 5 करोड़ लोगों को भी आरक्षित सीट नहीं दे पाई।
रेलवे ने इसमें दिलचस्पी दिखाने वाली कंपनियों से आरएफक्यू चरण से पहले वाली बैठक लॉकडाउन से पूर्व की थी।
अलस्टॉम में भारत एवं दक्षिण एशिया के प्रबंध निदेशक एलेन स्पोर ने कहा, 'जापान, जर्मनी, अमेरिका और कनाडा जैसे कई देशों में निजी कंपनियां सफलता के साथ रेल चला रही हैं। 151 रेलगाडिय़ों का निजीकरण भारतीय यात्रियों को विश्व-स्तरीय यात्रा अनुभव प्रदान करने की दिशा में एक प्रयास है। हालांकि मामला शुरुआती चरण में है मगर अलस्टॉम मौका लपकना चाहेगी क्योंकि हमारे पास यात्रियों को बेहतर अनुभव देने वाली अनूठी सुविधाएं भी हैं और भारतीय बाजार के लिए एकदम सही उत्पाद भी हैं।' अलस्टॉम तेज रफ्तार रेलगाड़ी, मेट्रो, ट्राम और ई-बस से लेकर एकीकृत प्रणाली, बुनियादी ढांचा, सिग्नलिंग एवं डिजिटल मोबिलिटी सॉल्यूशन तक सब कुछ देती है।
बेंगलूरु की ऑनलाइन ट्रेन टिकट डिस्कवरी और बुकिंग कंपनी कन्फर्मटिकट के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी दिनेश कुमार कोथा ने कहा, 'निजी रेलगाडिय़ों के लिए काफी निवेश की जरूरत होती है। एक-एक ट्रेन पर करीब 200-200 करोड़ रुपये लगाने होंगे। निजी क्षेत्र के लिए यह शानदार मौका है क्योंकि लाइसेंस पूरे 35 साल के लिए दिया जाएगा। इससे यात्रियों को बेहतर अनुभव भी मिलेगा। हम रोजाना 20,000 टिकट बुक करते हैं। इस परियोजना में हम ऑनलाइन ट्रैवल एग्रीगेटर का काम कर सकते हैं।' इस हिसाब से 151 रेलगाडिय़ों के लिए करीब 30,000 करोड़ रुपये का निवेश हो सकता है।
लॉकडाउन से पहले हुई बैठक में अदाणी पोट्र्स ऐंड सेज, भारत फोर्ज, एस्सेल समूह, मित्सुई, गेटवे रेल फ्रेट, केईसी इंटरनैशनल, आरके एसोसिएट्स, नैशनल इन्वेस्टमेंट ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, एसीएफ इंडिया, आई स्क्वायर कैपिटल, इक्विस फंड्स, मैक्वायरी ग्रुप, गेटेक्स, वृंदावन फूड प्रोडक्ट्स और कन्फर्मटिकट जैसी 26 कंपनियों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा बॉम्बार्डियर ट्रंासर्पोटेशन, अलस्टॉम ट्रंासपोर्ट, सीमेंस, हुंडई रोटेम, टालगो, हिताची इंडिया एंड साउथ एशिया, मेधा सर्वो ड्राइव्स, सीआरआरसी जेल्क एवं बीईएमएल जैसी कंपनियों ने भी शिरकत की थी।
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