कर विभागों का होगा विलय! | |
श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली 07 05, 2020 | | | | |
राजस्व में बढ़ती गिरावट के बीच कामकाज का खर्च संभालने की चुनौती से जूझ रहे केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड एवं अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के विलय पर चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है। साथ ही हरेक स्तर पर कर्मचारियों की संख्या में भारी कटौती का भी प्रस्ताव है।
यह विचार केंद्र की खर्च कम करने की कवायद के तहत किया जा रहा है। इसमें नई भर्तियों पर रोक, सेवानिवृत्ति के नियमों में बदलाव, नौकरियों की श्रेणियों को आपस में मिलाना, राजस्व अधिकारियों को दूसरे विभागों में भेजना और कुछ कर्मचारी श्रेणियों के लिए भत्तों में कटौती करना शामिल है।
मामले की जानकारी वाले एक सूत्र ने बताया, 'दोनों कर विभाग वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर खर्च घटाने के उपायों पर माथापच्ची कर रहे हैं। दोनों को आपस में मिलाने जैसे कुछ प्रस्तावों पर चर्चा भी हुई है, जिससे कम कर्मचारियों के साथ दोनों ही विभागों का काम हो जाएगा।'
फिलहाल केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और केंद्रीय अप्रत्यक्ष एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के पास अलग अलग एवं स्वतंत्र वित्तीय अधिकार हैं, जिनके तहत वे फैसला कर सकते हैं कि कर सृजन के लिए उन्हें कितना खर्च करना है। वित्त मंत्री के पूर्व आर्थिक सलाहकार पार्थसारथी सोम के नेतृत्व में कर प्रशासन सुधार आयोग (टीएआरसी) का गठन हुआ था। आयोग ने सबसे पहले 2014 में बेहतर कर प्रणाली के लिए दोनों बोर्ड के विलय का सुझाव दिया था। तब सीबीआईसी को केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के नाम से जाना जाता था। उस समय से ही विभिन्न मंचों पर दोनों विभागों के विलय की बात उठी है, लेकिन इस पर अमल नहीं किया गया।
सीबीडीटी के पूर्व सदस्य अखिलेश रंजन ने कहा, 'सिद्धांत तौर पर यह किया जा सकता है। ब्रिटेन जैसे कई देशों में ऐसी एकीकृत व्यवस्था है। लेकिन भारत में आयकर, सीमा शुल्क और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लिए प्रशासनिक ढांचे अलग-अलग होने की वजह से भारी मशक्कत के बाद भी दोनों बोर्डों के विलय का खास फायदा नहीं होगा। एक बात यह भी है कि जीएसटी का ढांचा एकदम अलग है, जहां जीएसटी परिषद ही सभी नीतियां तय करती है।'
इस समय दोनों विभाग कर नीतियों का खाका तैयार करते हैं, लेकिन उनके काम के लिए बजट वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व विभाग तय करता है। दोनों विभाग आय में अनियमितता या जीएसटी रिटर्न तथा आयकर रिटर्न में फर्क का पता लगाने के लिए जानकारी का आदान-प्रदान भी करते हैं।
सीबीडीटी ने पिछले दिनों विभाग प्रमुखों से प्रमुख खर्च कम करने का निर्देश भी दिया। ऐसा नहीं करने पर भविष्य में कुछ खर्चे मंजूर नहीं किए जाएंगे। खर्च कम करने के लिए सरकार भारतीय राजस्व सेवा के तहत नियुक्तियों की संख्या भी घटा रही है। सरकार इस सेवा के तहत सीमा शुल्क एवं आयकर विभागों के लिए अधिकारियों की जरूरत हर साल संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को बताती है। सूत्रों ने बताया कि इस साल राजस्व सेवा में नियुक्तियां पिछले साल के मुकाबले आधी ही रहीं। हालांकि इस सेवा के लिए रिक्तियों की सही संख्या यूपीएससी के 2020 के अंतिम परिणाम के बाद ही पता चलेगी। 2019 में आयकर के लिए केवल 60 राजस्व अधिकारी भर्ती किए गए थे, जबकि 2018 में 65 और 2017 में 169 भर्तियां हुई थीं।
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