साल की पहली छमाही में इक्विटी पूंजी बाजार की गतिविधियों में 50 फीसदी की उछाल देखने को मिली, जिसकी अगुआई बड़ी कंपनियों मसलन रिलायंस इंडस्ट्रीज, हिंदुस्तान यूनिलीवर आदि के बड़े लेनदेन ने की। हालांकि इक्विटी पूंजी बाजार में शुल्क का संग्रह सात फीसदी घटा क्योंकि निवेश बैंकों ने बड़े इश्यू का कामकाज हाथ में लेने के लिए शुल्क का बलिदान दिया। जनवरी-जून 2020 के दौरान इक्विटी पूंजी बाजार का अंडरराइटिंग शुल्क 9.6 करोड़ डॉलर रहा, जो साल 2019 की समान अवधि के मुकाबले 6.7 फीसदी कम है। वित्तीय सूचना प्रदाता रेफ्निटिव ने यह जानकारी दी। इक्विटी पूंजी बाजार में 52 फीसदी ज्यादा रकम जुटाई गई और यह 20 अरब डॉलर के पार निकल गई, साथ ही यह साल 2019 की पूरी अवधि के करीब-करीब बराबर है। इक्विटी पूंजी बाजार की गतिविधियों में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम, राइट्स इश्यू, पात्र संस्थागत नियोजन कार्यक्रम और ब्लॉक डील आदि शामिल होते हैं। बाजार के विशेषज्ञों ने कहा कि शुल्क में कमी की वजह इक्विटी पूंजी बाजार की कुल गतिविधियों में आईपीओ की कम हिस्सेदारी है। इस साल अब तक सिर्फ एसबीआई काड्र्स का आईपीओ ही बाजार में उतरा है। इक्विटी पूंजी बाजार की गतिविधियों में मोटे तौर पर ब्लॉक डील के जरिए मजबूती आई। प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, हमने इस साल अनुवर्ती पेशकश मसलन राइट्स इश्यू, क्यूआईपी और ब्लॉक डील की भरमार देखी है। किसी अन्य पेशकश के मुकाबले आईपीओ का शुल्क ज्यादा होता है क्योंकि पहले से सूचीबद्ध कंपनियों की अनुवर्ती पेशकश के मुकाबले आरंभिक सार्वजनिक निर्गम में निवेश बैंकरों को ज्यादा मेहनत करनी होती है और समय भी लगता है। साथ ही बड़ी सूचीबद्ध कंपनियां शुल्क पर काफी मोलभाव करती हैं। आने वाले समय में शुल्क आय में बढ़ोतरी के लिए आईपीओ बाजार में सुधार जरूरी है। पहली छमाही में इक्विटी बाजार के अहम लेनदेन में आररआईएल का राइट्स इश्यू, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन की तरफ से एचयूएल की 3.4 अरब डॉलर की हिस्सेदारी बिक्री, भारती एयरटेल का 2 अरब डॉलर का क्यूआईपी, एसबीआई काड्र्स का 1.4 अरब डॉलर का आईपीओ और प्रवर्तक भारती टेलि$कम की तरफ से भारती एयरटेल की 1.15 अरब डॉलर की हिस्सेदारी बिक्री शामिल है। पूंजी बाजार के स्वतंत्र प्रोफेशनल प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा, इस साल की गतिविधियों में ब्लॉक डील की भरमार है। क्यूआईपी और आईपीओ के मुकाबले ब्लॉक डील का शुल्क काफी कम होता है। यह सिर्फ प्लेसमेंट ट्रांजेक्शन है और यहां आपको विपणन पर महज 50 आधार अंक मिलेंगे। इसमें कोशिश सिर्फ विपणन की होती है और कोई अन्य दस्तावेजीकरण या सेबी की प्रक्रिया शामिल नहीं होती। क्यूआईपी में आपको दस्तावेज बनाने होते हैं और उसे स्टॉक एक्सचेंज ले जाना होता है। आने वाले समय में कुछ और राइट्स इश्यू हो सकते हैं, लेकिन उनमें बहुत ज्यादा शुल्क शायद ही मिलेगा जब तक कि उसमें अंडरराइटिंग शामिल रहता है। बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि पहली छमाही मेंं हुए सौदे को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की अवधारणा में हुए सुधार से मजबूती मिली। मार्च में रिकॉर्ड बिकवाली के बाद जून तिमाही में विदेशी निवेशकों की खरीदारी ने जोर पकड़ा।
