भारत सरकार द्वारा चीन के कुछ ऐप पर प्रतिबंध लगाए जाने के कारण दोनों पड़ोसी देशों के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर भारतीय यूनिकॉर्न, सूनीकॉर्न एवं अन्य फर्मों को रकम जुटाने में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर चीन से आने वाले निवेश की जांच-पड़ताल बढ़ सकती है। विभिन्न देशों के बीच सीमा पार निवेश पर काम करने वाले विशेषज्ञों के अनुसार, चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाए जाने से नकारात्मक धारणा पैदा हो गई है और चीन के निवेशकों का भरोसा डगमगाया है। इससे पेटीएम, ओला, बिगबास्केट, ड्रीम11, मेकमाईट्रिप और स्विगी जैसी कंपनियों में चीनी निवेशकों के संभावित नए निवेश प्रभावित हो सकते हैं। विदेश नीति पर नजर रखने वाले थिंक-टैंक गेटवे हाउस के अनुसार, मार्च 2020 में समाप्त पांच वर्षों की अवधि 30 यूनिकॉर्न में से 18 में चीनी निवेशकों का वित्त पोषण हुआ। अलीबाबा, टेनसेंट और श्याओमी जैसी चीनी निवेशक भारत के स्टार्टअप क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं और कुल मिलाकर उन्होंने अरबों डॉलर का निवेश किया है। दिलचस्प है कि चीन के निवेशकों से रकम हासिल करने वाली कुछ कंपनियों ने चीन के ऐप पर प्रतिबंध लगाने के सरकारी फैसले का समर्थन किया है। हाल में सरकार ने अपनी एफडीआई नीति में बदलाव करते हुए मौकापरस्त अधिग्रहण पर लगाम लगाने के लिए सख्त उपाय किए हैं। इसके तहत चीन से आने वाले निवेश के लिए एक मंजूरी-पूर्व ढांचा तैयार किया गया है। भारत में प्रौद्योगिकी निवेश में विशेषज्ञता प्राप्प्त वेंचर ग्रोथ इन्वेस्टर आयरन पिलर के प्रबंध निदेशक आनंद प्रसन्ना ने कहा, 'संदेश बिल्कुल स्पष्ट है कि भूराजनीति एवं कारोबार में टकराव होगा और यदि संबंध अच्छे नहीं रहे तो चीन की कंपनियों एवं निवेशकों के लिए भारतीय बाजार तक पहुंच बनाना चुनौतीपूर्ण होगा।' उन्होंने कहा, 'मैं समझता हूं कि मौजूदा परिदृश्य में अधिकतर चीनी निवेशक भारत में अपनी निवेश योजनाओं को फिलहाल टाल देंगे। यदि कुछ चीनी निवेशक अपना निवेश समेटकर यहां से बाहर हो जाएं तो भी अचरज नहीं होगा। स्थिति के सामान्य होने में लंबा वक्त लगेगा।' आयरन पिलर के आकलन के अनुसार, वर्ष 2019 में भारत के प्रौद्योगिकी स्टार्टअप में करीब 10 अरब डॉलर का निवेश किया गया। इनमें से करीब 30 फीसदी निवेश हॉन्ग कॉन्ग सहित चीन से आया। यह उल्लेखनीय वृद्धि है क्योंकि 2017 से पहले महज कुछ करोड़ डॉलर का ही निवेश चीन से आता था।
