जाइडस कैडिला को मानव परीक्षण के लिए मिली मंजूरी | |
विनय उमरजी / 07 03, 2020 | | | | |
भारत बायोटेक के बाद अब अहमदाबाद की दवा कंपनी कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड (जाइडस कैडिला) को भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से कोविड-19 टीके के मानव शरीर पर कराए जाने वाले पहले और दूसरे चरण के परीक्षण की मंजूरी मिल गई है।
अहमदाबाद के वैक्सीन टेक्नोलॉजी सेंटर में तैयार किए गए जाइडस कैडिला के प्लाज्मिड डीएनए वैक्सीन जाइकोव-डी ने प्रीक्लिनिकल चरण को पहले ही सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। कंपनी के अनुसार, जाइडस ने पहले से ही मानव क्लीनिकल परीक्षण के लिए जाइकोव-डी का क्लिनिकल जीएमपी बैच तैयार किया है और कंपनी की योजना है कि 1,000 से अधिक विषयों पर देश में कई जगहों पर इस महीने परीक्षण शुरू करने की योजना है।
कैडिला हेल्थकेयर ने शुक्रवार को एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा, 'कंपनी के इस टीके का परीक्षण जानवरों पर किया गया और इस अध्ययन के दौरान पाया गया कि चूहे, गिनी सुअरों और खरगोश में एक मजबूत प्रतिरक्षा वाली प्रतिक्रिया बनी है। वैक्सीन द्वारा बनी एंटीबॉडी संक्रामक वायरस को पूरी तरह बेअसर करने में सक्षम जिससे वैक्सीन की सुरक्षात्मक क्षमता का संकेत
मिलता है।'
कंपनी का कहना था कि मानव खुराक के मुकाबले तीन गुना खुराक खरगोशों में सुरक्षित पाया गया और यह इनकी प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए भी बेहतर साबित हुआ।
वहीं जाइकोव-डी के साथ कैडिला हेल्थकेयर ने गैर-एकीकृत प्लाज्मिड का इस्तेमाल कर देश में डीएनए वैक्सीन मंच को सफलतापूर्वक स्थापित करने का दावा किया है। इसके अलावा किसी भी संक्रामक एजेंट की अनुपस्थिति के साथ ही इस प्लेटफॉर्म ने न्यूनतम बायोसेफ्टी जरूरतों (बीएसएल-1) के साथ टीके के निर्माण में सहूलियत दी है। कंपनी ने कहा, 'यह प्लेटफॉर्म भी बेहतर वैक्सीन और कोल्ड चेन की कम जरूरतों के लिए जाना जाता है ताकि इसे देश के दूरदराज के क्षेत्रों में भेजने में कोई मुश्किल न हो। इसके अलावा इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल तेजी से कुछ हफ्तों में टीका को वायरस में परिवर्तन की स्थिति में संशोधित करने के लिए किया जा सकता है ताकि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।' इससे पहले, जाइडस कैडिला भारत की पहली कंपनी थी जिसने 2010 में स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए वैक्सीन का देश में निर्माण किया था। कंपनी के वैक्सीन टेक्नोलॉजी सेंटर ने कई अन्य जरूरतों के लिए वायरल, टॉक्सिओइड, पॉलिकराइड, कंज्यूगेट और दूसरे सबयूनिट टीके तैयार करने के साथ ही अपनी विनिर्माण क्षमता का दायरा भी बढ़ाया है। कंपनी खसरा-मंप्स-रूबेला-वेरिसेला (एमएमआरवी), ह्यूमन पैपिलोमावायरस वैक्सीन, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस ई जैसे टीकों पर भी काम कर रही है और ये टीके विकास के विभिन्न चरणों में हैं।
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