जीएसटी: बाजार से उधारी पर असहमति | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली July 02, 2020 | | | | |
कुछ सप्ताह में होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में राज्यों को जीएसटी में कमी की भरपाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्था पर सहमति नहीं बनने के आसार हैं क्योंकि इस मुद्दे पर अलग -अलग राय सामने आ रही हैं।
पंजाब और केरल यह मांग रखेंगे कि राज्यों को भरपाई के लिए जीएसटी परिषद बाजार से उधारी ले। मगर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इस विचार को 'ख्याली पुलाव' बताया है। उनका कहना है कि राज्यों को कम राजस्व के साथ जीना सीखना होगा।
पश्चिम बंगाल और असम का मानना है कि जीएसटी परिषद उधारी लेने में सक्षम नहीं है। कमजोर उपभोक्ता मांग के बीच अपर्याप्त संग्रह के कारण राज्यों के लिए हर्जाने की व्यवस्था पर दबाव आ गया है।
हालांकि हर्जाना उपकर संग्रह मई में सुधरकर 6,020 करोड़ रुपये रहा, जो अप्रैल में 990 करोड़ रुपये था। मगर यह पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले करीब 22 फीसदी कम था। अप्रैल में उपकर संग्रह पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 88 फीसदी कम रहा।
परिषद ने पिछले महीने फैसला किया था कि जुलाई में केवल हर्जाना उपकर पर ही चर्चा के लिए विशेष बैठक बुलाई जाएगी। पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने इस समाचार-पत्र को बताया कि वह राज्यों को हर्जाने की भरपाई के लिए बाजार से उधारी का विचार रखेंगे। उन्होंने कहा, 'हम यह कहेंगे कि कर्ज लौटाने के लिए उपकर संग्रह की अवधि को 2-3 साल और बढ़ाया जाए।'
उनके इस विचार से सहमति जताते हुए केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजक ने कहा कि जीएसटी परिषद को राज्यों को भुगतान के लिए बाजारों से उधार लेने की मंजूरी दी जानी चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि केंद्र सॉवरिन गारंटी दे। उन्होंने कहा, 'यह एक कोष (हर्जाना उपकर) है, जो उधार ले सकता है। केंद्र गारंटी दे सकता है। इसमें क्या समस्या है।'
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि केंद्र और राज्यों के लिए उधारी व्यावहारिक नहीं होगी। उन्होंने कहा, 'मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि बाजार से उधारी ख्याली पुलाव है क्योंकि इस समय कोई ऋण नहीं देगा। इसमें यह भी सवाल है कि कौन ऋण लेगा और उसे कैसे लौटाया जाएगा।'
उन्होंने कहा कि राज्यों को यह स्वीकार करना होगा कि अपर्याप्त उपकर संग्रह की स्थिति में हर्जाना संभव नहीं होगा और अगले साल दरों में बढ़ोतरी की जा सकती है। उन्होंने कहा, 'जिस तरह आपको कोविड-19 के साथ जीना सीखना होगा, उसी तरह राज्यों को जीएसटी में कमी के साथ जीना सीखना होगा। एक साल बाद परिषद कर दरों में बढ़ोतरी या उनमें फेरबदल करने की स्थिति में होगी।'
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