इस साल 1,000 करोड़ रु. खर्चेगी टाटा स्टील | अदिति दिवेकर / July 02, 2020 | | | | |
बीएस बातचीत
मौजूदा परिदृश्य में अनिश्चितता को देखते हुए तमाम कंपनियां फिलहाल नकदी संरक्षित करने पर जोर दे रही हैं लेकिन इस्पात उत्पादन करने वाली देश की सबसे पुरानी कंपनी टाटा स्टील ने इस वित्त वर्ष के दौरान कार्यशील पूंजी के तौर पर करीब 1,000 करोड़ रुपये जारी करने के लिए एक व्यापक योजना तैयार की है। कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी टीवी नरेंद्रन से अदिति दिवेकर की हुई विस्तृत बातचीत के मुख्य अंश:
टाटा स्टील ने कहा है कि आगे वह नकदी संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करेगी। ऐसे में नकदी की उल्लेखनीय जरूरत वाली कार्यशील पूंजी श्रेणी में आप उसे किस तरह लागू करेंगे?
वित्त वर्ष 2020 में कार्यशल पूंजी श्रेणी में हमने करीब 1,500 करोड़ रुपये की नकदी जारी की थी लेकिन मार्च के आखिरी 10 दिनों में जो कुछ हुआ उससे अंतिम आंकड़े प्रभावित हो गए। हालांकि वित्त वर्ष 2021 में इन्वेंटरी का प्रबंधन, आपूर्ति शृंखला में सख्ती जैसे कुछ उपाय किए जा रहे हैं। इसके अलावा नकदी प्रबंधन के लिए बड़े आपूर्तिकर्ताओं के भुगतान में लचीलापन, बफर खर्च को टालने जैसे कुछ कदम इस वित्त वर्ष में उठाए गए हैं। वित्त वर्ष 2021 में हम करीब वित्त वर्ष 2020 के बराबर नकदी नकदी जारी करेंगे। इस वित्त वर्ष में हम करीब 1,000 करोड़ रुपये की नकदी जारी करेंगे।
चालू वित्त वर्ष में रकम जुटाने और ऋण अदायगी के बारे में आपकी क्या योजना है?
काफी ऋण अदायगी करने के बाद फिलहाल हम सहज स्थिति में हैं और इसलिए चालू वित्त वर्ष के दौरान कोई उल्लेखनीय पुनर्भुगतान की योजना नहीं है। वित्त वर्ष 2021 में करीब 30 से 35 करोड़ डॉलर का पुनर्भुगतान किया जाएगा। जहां तक पोर्टफोलियो का सवाल है तो हम उसे पूरा करना चाहते हैं और दक्षिण पूर्व एशिया में लेनदेन पूरा करेंगे जिससे हमें कुछ नकदी हासिल होगी। इसके अलावा पूंजीगत खर्च को युक्तिसंगत बनाया जाएगा ताकि ऋण प्रबंधन में मदद मिल सके।
मौजूदा वैश्विक महामारी से आपने क्या सबक सीखा है? भारतीय कारोबार पर इसके प्रभाव की विदेशी कारोबार पर प्रभाव से कैसे करेंगे?
आपका कारोबार लचीला होना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों से हमने भारत के प्रौद्योगिकी क्षेत्र में निवेश देखा है और मैं समझता हूं कि यह बिल्कुल समय पर किया गया निवेश है। इसने भारतीय कारोबार को काफी लचीला बनाया और तकनीकी बुनियादी ढांचे के कारण उसमें सुस्ती दिख रही है। कुल मिलाकर, यूरोप के मुकाबले हमारे यहां कोविड वैश्विक महामारी का प्रकोप बाद में आया और इसलिए हमें स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कई कदम उठाने का समय मिल गया। हालांकि मैं यह नहीं कह रहा कि हमारी तैयारी बिल्कुल दुरुस्त थी लेकिन अन्य के मुकाबले हमें कुछ सप्ताह का समय मिल गया। इससे उत्पादन कोविड पूर्व स्तर के मुकाबले 50 फीसदी से नीचे नहीं गया। भारत में तकनीक प्रगति ने निश्चित तौर पर हमारी मदद की।
लॉकडान के दौरान लॉजिस्टिक श्रेणी में क्या समस्या दिखी?
हमारे पास लंबी और जटिल आपूर्ति शृंखला मौजूद है। इनबाउंड आपूर्ति शृंखला में बड़ी चुनौती दिखी क्योंकि हमारे कई वेंडर परिचालन नहीं कर सकते थे। इस्पात संयंत्र को परिचालन जारी रखने की अनुमति दी गई थी लेकिन वेंडरों को जिला स्तर पर स्थानीय प्रशासन से मंजूरी लेने में काफी परेशानी हो रही थी।
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