मार्च के आखिर में की गई देशबंदी की घोषणा की वजह से नई परियोजनाओं में कमी आई है और चल रही परियोजनाओं में काम थम गया है। ऐसे में यह साल अर्थव्यवस्था के लिए दशकों में सबसे खराब रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। सेंटर फार मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के मुताबिक जून तिमाही में नई परियोजनाओं की संख्या 0.56 लाख करोड़ रुपये की रह गईं, जो 2019 की समान अवधि की तुलना में 51.7 प्रतिशत कम है। पूरी होने वाली परियोजनाओं की संख्या 83.9 प्रतिशत घटकर 0.14 लाख करोड़ रुपये की रह गई हैं। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि गिरावट इसलिए आ रही है क्योंकि लॉकडाउन की वजह से सब कुछ थम गया है। यह उम्मीद की जा रही है कि जिन परियोजनाओं पर काम चल रहा है, उनके काम में ठहराव आएगा। आने वाली तिमाहियों में जून की तुलना में सुधार दिख सकता है, लेकिन उल्लेखनीय सुधार की उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा, 'कुल मिलाकर निराशाजनक परिदृश्य जारी रहेगा।' दिलचस्प है कि पुनरुद्धार वाली परियोजनाओं में 82.8 प्रतिशत तेजी आई है, जबकि रुकी हुई परियोजनाएं भी 23.1 प्रतिशत कम हुई हैं। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज में मुख्य निवेश अधिकारी पीयूष गर्ग ने कहा परिवारों का पूंजीगत व्यय प्राय: आवास में होता है और आर्थिक दबाव के कारण इस क्षेत्र में खर्च की संभावना कम है। राजकोषीय घाटा कम करने के लिए सरकार खर्च घटा सकती है। ऐसे में सिर्फ गैर सरकारी कंपनियां ही नई परियोजनाएं ला सकती हैं, और यह ऐसा तभी होगा, जब उन्हें भरोसा हो कि ज्यादा कारोबार आएगा। फिलहाल ऐसी संभावना नजर नहीं आती। उन्होंने कहा, 'निजी क्षेत्र मांग में तेजी आने का इंतजार करेगा।' सकल घरेलू उत्पाद में मापी जाने वाली वृद्धि पहले ही 11 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है और यह कोविड 19 महामारी से बचने के लिए की गई देशबंदी के पहले हो चुका है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने आगे मंदी की आशंका जताई है, जो पिछले 69 साल में सिर्फ 3 बार आई है। उसने कहा है कि खराब मॉनसून के कारण कृषि पर असर पडऩे से ऐसा हुआ था। नई संपत्तियों के सृजन के लिए सरकार भी कम खर्च (पूंजीगत व्यय) कर रही है। अपना परिचालन चलाने या सब्सिडी और वेतन का भुगतान (राजस्व व्यय) पर धन खर्च करने के बावजूद ऐसा किया जा रहा है। ईवाई इंडिया में मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने जून 2020 की इकोनॉमिक वाच रिपोर्ट में कहा था, 'दरअसल पूंजीगत व्यय 7.5 प्रतिशत संकुचित होने दिया गया था। सरकार के व्यय का वृद्धि पर बड़ा असर होता है, ऐसे में राजस्व व्यय के साथ साथ पूंजीगत व्यय में भी पूरे साल के दौरान ज्यादा खर्च करने की जरूरत है।' विश्लेषक अमित महावर, स्वर्णिम माहेश्वरी, आशुतोष मेहता और मनीष अग्रवाल द्वारा लिखी ब्रोकरेज फर्म एडलवाइस सिक्योरिटीज की 12 जून को इंजीनियरिंग और पूंजीगत वस्तु क्षेत्र पर जारी रिपोर्ट में कहा गया है, 'सरकार प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को बहाल करने के कितनी जल्दी सरकार सहयोग बढ़ाएगी, इसका कोई अनुमान ही लगा सकता है। ' रिपोर्ट में कहा गया है कि जो कंपनियां बुनियादी ढांचा परियोजाओं के सृजन में लगी हुई हैं, उनकी नकदी खत्म हो गई है और वे श्रमिकों के संकट से जूझ रही हैं।
