बीमार सरकारी दवा कंपनी चीन का विकल्प बनने को तैयार | सोहिनी दास / मुंबई July 01, 2020 | | | | |
देश में लगातार बढ़ रही चीन विरोधी भावना और बल्क दवाओं के लिए वैकल्पिक स्रोतों की तलाश से हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स (एचएएल) जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के बीमारू उपक्रमों को नई ताकत मिल सकती है। एचएएल ने उन प्रमुख बल्क दवाओं के विनिर्माण के जरिये अपने पुनरुद्धार की योजना बनाई है जिनकी पहचान सरकार ने उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत की है।
एचएएल की प्रबंध निदेशक नीरजा सराफ ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत करते हुए कहा, 'हमने सरकार से आग्रह किया है कि एचएएल की रणनीतिक बिक्री संबंधी निर्णय पर पुनर्विचार किया जाए।' एचएएल अपने पुणे संयंत्र में उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए 20 करोड़ रुपये के निवेश (हाल में घोषित पीएलआई योजना के तहत आवश्यक) की योजना बना रही है। कंपनी इस संयंत्र में तीन प्रमुख ऐक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रेडिएंट्स (एपीआई)- टेलमिसार्टन, मेरोपेनेम और गैबापेंटिम- का उत्पादन करेगी। इनमें से मेरोपेनेम की जबरदस्त मांग है। वित्त वर्ष 2021 के लिए कंपनी ने 100 करोड़ रुपये के कुल कारोबार और शून्य नुकसान का लक्ष्य रखा है। सराफ ने कहा कि कंपनी अपने आंतरित संसाधनों से 20 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। उन्होंने कहा, 'हम कुछ स्क्रैप की बिक्री कर रहे हैं और अपनी कुछ संपत्तियों को किराये पर लगा रहे हैं।' जहां तक शुरुआती क्षमता का सवाल है तो टेलमिसार्टन एवं गैबापेंटिम के लिए 100 टन प्रति महीना और मेरोपेनेम के लिए 20 टन प्रति महीना होगी। उन्होंने कहा कि दिसंबर तक उत्पादन शुरू हो जाएगा।
सरकार एपीआई के उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। भारत फिलहाल अपनी 70 फीसदी एपीआई जरूरतों का आयात चीन से करता है। सरकार ने मार्च में 10,000 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना की घोषणा की थी ताकि चीन पर निर्भता (प्रमुख एंटीबायोटिक्स, विटामिन, मधुमेहरोधी दवा आदि) को कम किया जा सके। इस योजना के तहत उन घरेलू विनिर्माताओं को 10 करोड़ रुपये उपलब्ध कराएं जाएंगे जो 53 प्रमुख एपीआई में से 41 का उत्पादन करेंगे। इसके लिए इकाइयों को पूरी तरह एकीकृत करने की आवश्यकता होगी।
सराफ ने स्पष्ट किया कि एचएएल को वर्टिकली एकीकृत किया जाएगा और वह प्रमुख शुरुआती पदार्थों (केएसएम) के अलावा एपीआई के उत्पादन के लिए आवश्यक अन्य रसायनों का उत्पादन करेगी। एचएएल ने अपने ढांचे को हल्का बनाने पर भी काम शुरू कर दिया है। उसने 375 लोगों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के तहत सेवानिवृत्ति दी है और सरकार से रकम उपलब्ध कराने की मांग की है।
सराफ ने कहा, 'यदि हमें रकम उपलब्ध कराया गया तो हम 300 अन्य लोगों को सेवानिवृत्ति देंगे। उसके बाद पेरोल पर 175 लोग होंगे।'
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