चीन का सामान न खरीदने की सलाह | |
श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली 06 30, 2020 | | | | |
केंद्र ने सरकारी विभागों और मंत्रालयों को चीन के आपूर्तिकर्ताओं के किसी सामान के चयन या खरीदारी से दूर रहने का अनौपचारिक निर्देश दिया है। इससे पहले केंद्र ने सरकार के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर नए उत्पादों को पंजीकृत करते समय यह दिखाना अनिवार्य बनाया था कि वे कहां बने हैं।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि सरकार ने यह निर्देश अनौपचारिक रूप से जारी किया है क्योंकि किसी देश विशेष के उत्पादों की खरीद पर रोक लगाने से विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नियमों का उल्लंघन होगा। उनके मुताबिक यह सूचना कम से कम दो दर्जन सरकारी संगठनों और मंत्रालयों को भेजी गई है। इनमें आयकर विभाग, सीमा शुल्क एवं उत्पाद विभाग, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड, डाक विभाग और नियामक शामिल हैं। सभी केंद्र एवं राज्य सरकारों के विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों को सामान्य उपयोग के सामान एवं सेवाओं की गवन्र्मेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम) के जरिये सीधी खरीद करने को कहा गया है। विक्रेताओं को खुद को इस प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत कराना होगा और एक खुले बाजार के मॉडल में अन्य से प्रतिस्पर्धा करनी होगी।
पिछले सप्ताह वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले जेम ने कहा था कि इस सरकारी ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकरण करते समय उस सामान के उत्पादन के देश का ब्योरा देना होगा। इस नई चीज को यह सुनिश्चित करने के लिए जोड़ा गया है ताकि खरीदार सोच-समझकर फैसला करें और उसमें उत्पाद तथा सेवाओं से जुड़े तमाम पैमानों को भी जांच लें।
एक अन्य सूत्र ने कहा, 'पिछले कुछ महीनों से घरेलू आपूर्तिकर्ताओं को प्रोत्साहन देने और चीन के सामान का बहिष्कार करने की मांग उठ रही है, इसलिए ये निर्देश बहुत अहम हैं।' उन्होंने कहा कि हाल में सीमा पर तनाव से सरकार चीन के संबंध में पारदर्शिता बरतने को बाध्य हुई है।
उन्होंने कहा कि यहां तक कि राज्य सरकारों से भी कहा गया है कि वे पोर्टल पर चीन और हॉन्ग कॉन्ग में बने सामान की खरीदारी न करें। ये विभाग आम तौर पर पोर्टल से स्टेशनरी, इमारत मरम्मत एवं साफ-सफाई के उपकरणों, आवश्यक वस्तुओं, अप्लायंस, वाहनों और अन्य बहुत सी चीजें खरीदते हैं।
इस पोर्टल पर सोमवार को 18.5 लाख अलग-अलग उत्पाद एवं सेवाएं दिख रही थीं। इस पर पहले ही 3,99,639 विक्रेता एवं सेवा प्रदाता पंजीकृत हैं। इस पर अब तक 55,379 करोड़ रुपये के लेनदेन हो चुके हैं। सूत्रों ने कहा कि यह हाल में सरकार की तरफ से न केवल मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने बल्कि चीन से आयात घटाने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों का हिस्सा है।
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