अस्पताल कंपनियों की सेहत पर रहेगा दबाव | उज्ज्वल जौहरी / मुंबई June 29, 2020 | | | | |
अपोलो हॉस्पिटल्स, फोर्टिस हेल्थकेयर, और नारायणा हृदयालय जैसी प्रमुख अस्पताल कंपनियों के मार्च तिमाही के प्रदर्शन पर लॉकडाउन का प्रभाव स्पष्ट दिखने की अनुमान है। कोविड-19 महामारी से न सिर्फ बहिरंग रोगी सेवाएं प्रभावित हुई हैं बल्कि इससे खास सर्जरी को टाले जाने की दर भी बढ़ी है और इसके परिणामस्वरूप मेडिकल टूरिज्म को नुकसान हुआ है। इसका वित्त वर्ष 2021 की वित्तीय स्थिति पर भी प्रभाव पड़ेगा।
अपोलो हॉस्पिटल्स ने गुरुवार को अपने वित्तीय परिणाम की घोषणा की। उसके वित्तीय प्रदर्शन पर अस्पताल खंड में कमजोर आवक का प्रभाव स्पष्ट दिखा है। मार्च के अंत में सिर्फ सीमित सेवाओं के लिए अनुमति के साथ लॉकडाउन (9 दिन) अस्पताल खंड में मुख्य स्तर पर 70 करोड़ रुपये और समेकित स्तर पर 100 करोड़ रुपये राजस्व नुकसान को बढ़ावा मिला। हालांकि फार्मेसी खंड में शानदार वृद्घि की मदद से इस नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हुई।
कोविड-19 आधारित समस्याओं से अपोलो का अल्पावधि परिदृश्य प्रभावित हुआ है, वरना इस कंपनी को पिछले कुछ वर्षों के दौरान हासिल की गईं नई क्षमताओं का लाभ मिल रहा था। प्रमुख पूंजीगत खर्च पूरा हो जाने और नए अस्पतालों से मुनाफा शुरू होने से आय वृद्घि मजबूत रहने की उम्मीद थी। कर्ज घटाने और गिरवी शेयरों में कमी लाने की योजनाओं से धारणा में सुधार आया है।
इनमें से ज्यादातर सकारात्मक बदलावों पर कोविड-19 महामारी के बाद दबाव पड़ा। अप्रैल में, अस्पताल व्यवसाय में मरीजों की आवक घटकर 28 प्रतिशत रह गई। हालांकि लॉकडाउन में कुछ नरमी की वजह से मई में यह बढ़कर 35 फीसदी तथा जून में 45 फीसदी हो गई है, लेकिन यह अभी भी सामान्य स्तर से काफी कम है।
बहिरंग रोगी सेवाएं भी सामान्य स्तरों के करीब 25 फीसदी पर दर्ज की गई हैं। इसके अलावा खास सर्जरी भी प्रभावित हुईं जिनसे अच्छी कमाई होती है।
हालांकि अपोलेा हॉस्पिटल्स को सितंबर तिमाही में सुधार और मरीजों की आवक 50-55 फीसदी के भरपाई के स्तर पर पहुंचने की संभावना है। अपोलो हॉस्पिटल्स के समूह सीएफओ अखिलेश्वर कृष्णन का मानना है कि दूसरी छमाही बेहतर रहेगी और शुद्घ कर्ज वित्त वर्ष 2021 के अंत तक 2,300 करोड़ रुपये पर स्थिर बना रहेगा।
विश्लेषक अस्पताल कंपनियों के दीर्घावधि परिदृश्य को लेकर भी आश्वस्त हैं, लेकिन इसे लेकर सतर्क बने हुए हैं कि कोविड-19 संकट गहरा रहा है और इसे लेकर अल्पावधि चिंताएं बरकरार हैं। येस सिक्योरिटीज के भवेश गांधी का मानना है कि सर्जरी में तेजी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। इसलिए अल्पावधि चिंताओं का धारणा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है और निवेशक मौजूदा गिरावट का इस्तेमाल अपोलो हॉस्पिटल का शेयर खरीदने के लिए कर सकते हैं। इस शेयर के लिए नोमुरा और मैक्वेरी द्वारा एक वर्षीय कीमत लक्ष्य 1,732-2,100 रुपये के दायरे में है।
फोर्टिस हेल्थकेयर और नारायणा हृदयालय पर भी प्रभाव पड़ा है। मार्च तिमाही में फोर्टिस का अस्पताल खंड का एबिटा मार्जिन सालाना आधार पर 50 आधार अंक तक घटकर 11 फीसदी रह गया क्योंकि मरीजों की आवक (ऑक्यूपेंसी) 68 फीसदी से घटकर 65 फीसदी रह गई। हालात में सुधार से पहले अभी दबाव और दिखेगा, क्योंकि ऑक्यूपेंसी स्तर अप्रैल में घटकर 29 फीसदी रह गया था। विश्लेषकों का कहना है कि मई के लिए यह 35 फीसदी था, जबकि महीने में अब तक के आधार पर ऑक्यूपेंसी 17 जून तक 45 फीसदी पर थी। स्वास्थ्य जांच व्यवसाय में कारोबार अप्रैल में घटकर 75 फीसदी और मई में 60 फीसदी रह गया था।
एडलवाइस सिक्योरिटीज के विश्लेषकों का कहना है कि प्रबंधन का मानना है कि अस्पताल व्यवसाय वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में ही सामान्य स्थिति में लौट पाएगा और जांच खंड जुलाई अंत तक लॉकडाउन से पूर्व के 90 फीसदी को हासिल करने की स्थिति में होगा।
उन्होंने कहा है, 'इसलिए, हमने वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 के एबिटा अनुमानों में 40 और 20 फीसदी तक की कमी की है।'
हालांकि अगली एक-दो तिमाहियों के बाद, और अपनी कॉरपोरेट प्रशासनिक समस्याओं तथा कानूनी लड़ाई को नजरअंदाज कर बाजार इसके प्रदर्शन में अच्छे सुधार की उम्मीद कर रहा है।
इसकी एक मुख्य वजह यह है कि नए उपायों से मदद मिल रही है। इससे फोर्टिस के लिए भरपाई का स्तर घटकर 45 फीसदी ऑक्यूपेंसी पर रह गया है और भविष्य में इसमें और सुधार आ सकता है। गांधी का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने ओफर ऑफर पर रोक लगा दी है और इसकी 6 जुलाई को होने वाली सुनवाई से हालात में बड़ा बदलाव आ सकता है, क्योंकि इससे नई प्रवर्तक आईएचएच की जिम्मेदारी मजबूत होगी।
इस बीच, नारायणा ह्रदयालय की मार्च तिमाही का राजस्व और एबिटा सालाना आधार पर 3 फीसदी और 13 फीसदी घटे हैं और जून तिमाही में भी बड़े बदलाव के आसार नहीं हैं।
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