घरेलू और निर्यात बाजार में परिधान मांग में कमी के मद्देनजर परिधान विनिर्माताओं ने निजी सुरक्षा परिधान (पीपीई) किटों के उत्पादन में इजाफा कर दिया है जो अब आठ लाख इकाई प्रतिदिन के स्तर तक पहुंच गया है। यह कारोबार अब आजीविका का साधन बन गया है। भारतीय परिधान निर्यात संवद्ध्र्रन परिषद (एईपीसी) के चेयरमैन डॉ. ए शक्तिवेल ने कहा कि भारतीय परिधान उद्योग ने पीपीई किट उत्पादन की ओर रुख करने और चार महीने से भी कम समय में इसका उत्पादन शून्य इकाई से बढ़ाकर आठ लाख इकाई प्रतिदिन करने में बड़ी तत्परता दिखाई है। अब उद्योग अगले पांच सालों में 60 अरब डॉलर के वैश्विक बाजार में बड़ा हिस्सा हथियाना चाहता है। उन्होंने कहा कि उद्योग देशव्यापी लॉकडाउन के बीच अपने उत्पादन को पुनस्र्थापित करते हुए पीपीई विनिर्माण के लिए बड़े उत्पादन केंद्रों को नए सिरे से व्यवस्थित कर सकता है। इस लॉकडाउन ने सामग्री, श्रम और आपूर्ति शृंंखलाओं को बाधित किया है। एईपीसी ने सरकार से पीपीई किट निर्यात से प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया है। इसने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और कपड़ा मंत्री स्मृति जुबिन इरानी को पत्र भेजे हैं। शक्तिवेल ने कहा कि बांग्लादेश, इंडोनेशिया, पाकिस्तान जैसे देशों ने पीपीई निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया है और उन्हें काफी ऑर्डर मिल रहे हैं। हमें अपने प्रतिस्पर्धी देशों के हाथों निर्यात बाजार गंवाने का डर है। पीपीई का उत्पादन देश की जरूरत पूरा करने के लिहाज से जरूरत से ज्यादा है और इसे निर्यात के लिए खोला जा सकता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोप सबसे बड़े संभावित खरीदार हैं। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान को 10 करोड़ डॉलर का निर्यात ऑर्डर मिला है जो बढ़कर 50 करोड़ डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। बांग्लादेश ने भी इस महामारी से निपटते हुए अमेरिका, नेपाल, श्रीलंका और कुवैत जैसे देशों से वैश्विक कारोबार को आक्रामक तरीके से बचाया है। वियतनाम के वाशिंगटन स्थित दूतावास ने रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र तथा अमेरिका के स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के साथ मिलकर एक संचार चैनल की स्थापना की है। अमेरिका की संघीय आपात प्रबंधन एजेंसी ने वियतनाम से निर्यात की जाने वाली 22.5 लाख पीपीई जैसी चिकित्सा आपूर्ति शीघ्र प्राप्त करने के लिए एक एयर ब्रिज तैयार किया है। डॉ. शक्तिवेल ने कहा कि भारत भी इस एयर ब्रिज वाली पहल का हिस्सा है। हमें आकर्षक वैश्विक कारोबार का कोई अवसर नहीं गंवाना चाहिए और पीपीई निर्यात की शुरुआत करना वक्त की जरूरत है। भारत को उस आर्थिक और राजनीतिक लाभ पर विचार करना चाहिए जो समय पर किए गए पीपीई निर्यात के जरिये कोविड के दौर के बाद निर्मित होगा।
