कोविड-19 के चलते संभावित अवरोध और वीजा मसलों के कारण आईटी कंपनियों को लेकर निवेशक हालांकि सतर्कता बरतते रहे हैं, लेकिन एक्सेंचर पीएलसी की तीसरी तिमाही के नतीजे (मार्च-मई, 2020) ने बाजार को चौका दिया। भारतीय आईटी शेयरों पर इसका सकारात्मक असर पड़ा और निफ्टी आईटी इंडेक्स में शुक्रवार को चार फीसदी की तेजी दर्ज हुई। अहम शेयरों की बात करें तो इन्फोसिस में सबसे ज्यादा 6.6 फीसदी की उछाल आई जबकि टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में 4.9 फीसदी, विप्रो में 3.3 फीसदी और एचसीएल टेक्नोलॉजिज में 2.3 फीसदी का इजाफा हुआ। एक्सेंचर की तीसरी तिमाही के नतीजे से भारतीय आईटी कंपनियों के लिए कुछ सकारात्मक संकेत मिले हैं, लेकिन कुछ ऐसी चीजें भी हैं जिसके कारण सतर्कता बरतने की जरूरत है। न्यू यॉर्क की तकनीकी फर्म एक्सेंचर सितंबर से अगस्त की अवधि को लेखा वर्ष मानती है। कोविड महामारी के प्रसार के बीच एक्सेंचर की तीसरी तिमाही के नतीजे पर भी असर पड़ा है और कंपनी ने सालाना आधार पर राजस्व में स्थायी मुद्रा के आधार पर 1.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है। इसमें आउटसोर्सिंग कारोबार में 5 फीसदी की बढ़त का योगदान रहा, जहां भारतीय आईटी कंपनियों का बड़ा कारोबार है। वास्तव में नए ऑर्डर बुकिंग में एक्सेंचर की 5 फीसदी की बढ़ोतरी भी आउटसोर्सिंग अनुबंधों की अगुआई में हुई है, साथ ही इसने कंपनी के राजस्व अनुमान के निचले स्तर में भी इजाफा कर दिया है। वित्त वर्ष 2020 का राजस्व अनुमान अब स्थायी मुद्रा के लिहाज से 3.5-4.5 फीसदी बैठता है, जो पहले 3 से 6 फीसदी था। राजस्व अनुमान की ऊपरी सीमा को घटाा गया है, लेकिन इसके निचले स्तर में बढ़ोतरी बताती है कि स्थिति में सुधार हो रहा है। इसके अलावा एक्सेंचर का परिचालन मार्जिन क्रमिक आधार पर 220 आधार अंक बढ़ा और सालाना आधार पर यह 10 आधार अंक के इजाफे के साथ तीसरी तिमाही में 15.6 फीसदी रहा। विश्लेषकों का मानना है कि मार्जिन के मोर्चे पर हुए प्रदर्शन से संकेत मिलता है कि आईटी कंपनियों पर कीमत का कोई बड़ा दबाव नहीं है। कोविड-19 महामारी के बीच क्लाइंटों की खर्च करने की सीमित क्षमता के कारण भारतीय आईटी कंपनियां कीमत की शक्ति में गिरावट देख सकती हैं। उधर, एक्सचेंज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रदर्शन पर नजर डालने से पता चलता है कि राजस्व की रफ्तार को स्वास्थ्य व सार्वजनिक क्षेत्र ने बढ़ाया है, जहांं भारतीय आईटी कंपनियों का कारोबार सीमित है। उदाहरण के लिए टीसीएस और इन्फोसिस के मामले में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का उनके कुल राजस्व में 10 फीसदी से भी कम योगदान है। विश्लेषकों ने कहा, दूसरी ओर ज्यादातर भारतीय आईटी कंपनियों के लिए अहम क्षेत्र वित्तीय सेवाओं पर अभी भी दबाव बना हुआ है। प्रभुदास लीलाधर के विश्लेषकों के मुताबिक, एक्सेंचर के वित्तीय सेवा क्षेत्र में सालाना आधार पर तीसरी तिमाही में 3 फीसदी की गिरावट आई, जो हालांकि ज्यादातर भारतीय आईटी कंपनियों के राजस्व में कम से कम 30 फीसदी का योगदान करता है। बाकी अन्य वर्टिकल के राजस्व में भी गिरावट दर्ज की गई है। मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने कहा, बढ़त वाले बाजार एक्सेंचर की प्रगति के अहम इंजन बने हुए हैं, जो भारतीय कंपनियों के लिए बड़ा व भरोसेमंद क्षेत्र नहीं है। विश्लेषकों को इस पर संदेह है कि एक्सेंचर की तीसरी तिमाही के उत्साहजनक नतीजों की तरह भारतीय आईटी कंपनियों का प्रदर्शन भी दिखेगा। एक्सेंचर के बढ़त वाले बाजारों में एशिया प्रशांत, पश्चिम एशिया और अफ्रीका शामिल है और ये बाजार राजस्व में करीब 20 फीसदी का योगदान करते हैं।
