अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो के चेयरमैन के सिवन ने कहा है कि अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए सरकार के ताजा सुधार न सिर्फ निजी कंपनियों को रॉकेट एवं सैटेलाइट निर्माण में सक्षम बनाएंगे बल्कि उन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की सुविधाओं का इस्तेमाल करने की भी अनुमति होगी। बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी उद्योग की गतिविधियों को अनुमति एवं विनियमन के लिए एक अलग वर्टिकल के तौर पर इन-स्पेस (इंडियन नैशनल स्पेस प्रमोशन ऐंड अथॉराइजेशन सेंटर) को स्वीकृति प्रदान की। केंद्र सरकार ने 360 अरब डॉलर के वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में अपना 2 फीसदी योगदान बढ़ाने के प्रयास में इस नए सेंटर पर ध्यान केंद्रित किया है। सिवन ने सरकार के कदम को एक महत्त्वपूर्ण सुधार करार देते हुए कहा, 'हमारे पास सुरक्षा और गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए निजी कंपनियों की अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए एक तंत्र होना चाहिए। मौजूदा समय में, इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं है।' इन-स्पेस में तकनीक, कानूनी, सुरक्षा निगरानी के साथ साथ निजी उद्योग की जरूरतों के आकलन के लिए गतिविधियों के प्रोत्साहन आदि के लिए अपने स्वयं के स्वतंत्र निदेशालय होंगे। सिवन ने कहा कि इन-स्पेस में उद्योग, शिक्षा क्षेत्र और सरकार से प्रतिनिधि शामिल होंगे। उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि निजी क्षेत्र महज कलपुर्जों का आपूर्तिकर्ता होने के मुकाबले ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी निभा सकता है। निजी कंपनियों को अंतरिक्ष संंबंधी आधुनिक सेवाएं मुहैया कराने की अनुमति होगी।' अब तक भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में इसरो एक प्रमुख कंपनी है। सिवन ने कहा, 'निजी उद्योग को आरऐंडडी गतिविधियां संचालित करने और इंटर-प्लेनेटरी मिशन में सहभागी बनने का भी अवसर मिलेगा। यह अवसरों की विभिन्न घोषणाओं के जरिये किया जाना है।' सिवन ने कहा कि एक नई नीति प्रस्तावित है। स्वतंत्र और समावेशी अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए रिमोट सेंसिंग डेटा पॉलिसी में उपयुक्त बदलावों के साथ साथ सैटकॉम नीति पर भी विचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि इन बदलावों के साथ भारत एक नए युग में कदम रखेगा और वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख केंद्र के तौर पर उभरेगा। उद्योग ने सराहा सरकार के नए सुधारों के साथ अब निजी क्षेत्र को अत्याधुनिक अंतरिक्ष सेवाएं मुहैया कराने में मदद मिलेगी। उद्योग प्रतिनिधियों और निवेशकों का कहना है कि इन सुधारों से इस क्षेत्र को ताकत मिलेगी, क्योंकि सार्वजनिक सुविधाओं का इस्तेमाल किया जा सकेगा, प्रौद्योगिकी स्थानांतरण को बढ़ावा मिलेगा और नियामकीय अनिश्चितता दूर होगी। गोदरेज एयरोस्पेस के ईवीपी और बिजनेस हेड एस एम वैद्य ने कहा कि यह अच्छी खबर है। उन्होंने कहा, 'सार्वजनिक निजी भागीदारी सही दिशा में उठाया गया कदम है और इसरो और निजी उद्योग दोनों के लिए स्वायत्तता की काफी जरूरत थी।' स्पेस फेडरेशन ऑफ इंडिया के संस्थापक सदस्य और स्काईरूट एयरोस्पेस के सीईओ पवन कुमार चंदाना ने कहा कि नई घोषणा से सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा।
