आरबीआई करेगा ऋण पुनर्गठन पर चर्चा! | रघु मोहन / मुंबई June 25, 2020 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय बोर्ड की शुक्रवार को होने वाली बैठक में भारतीय कंपनियों के ऋणों के एकबारगी पुनर्गठन पर चर्चा हो सकती है। यह बैठक कोविड-19 महामारी फैलने के बाद पहली बार हो रही है।
हालांकि केंद्रीय बैंक ने मौजूदा हालात में ऐसी योजना के औचित्य पर अपना रुख तय नहीं किया है। लेकिन इस पर लोन मॉरेटोरियम की अवधि में ब्याज माफ करने की याचिका के जवाब में केंद्र, आरबीआई और भारतीय बैंक संघ की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल किए जाने वाले हलफनामों का असर पड़ सकता है। सीधे शब्दों में कहें तो हलफनामे दाखिल किए जाने के बाद सिस्टम के दबाव के ब्योरे बेहतर तरीके से सामने आएंगे। उस स्थिति में पुनर्गठन की योजना शुरू की जा सकती है।
सूत्र ने कहा, 'सरकार और भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष पदस्थ लोग एक बार के लिए ऐसी पुनर्गठन योजना के पक्ष में हैं।' उन्होंने कहा, 'यह मुद्दा हाल में वित्त मंत्रालय की कुछ आंतरिक बैठकों में भी उठा था।' इनमें ऋणों को फंसे ऋण (एनपीए) की श्रेणी में डालने के लिए भुगतान में देरी की अवधि 90 दिन से बढ़ाकर 180 दिन करने को लेकर भी चर्चा हुई थी।
गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि गैर-मझोले लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों (एमएसएमई) के लिए ऋण पुनर्गठन सुविधा पर सक्रियता से विचार हो रहा है। चेन्नई इंटरनैशनल सेंटर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वित्त मंत्री ने कहा,' ऐसी योजना के लिए आरबीआई के साथ गहन विचार-विमर्श चल रहा है।'
पिछले महीने आरबीआई ने ऐसी आशंका जताई थी कि वित्त वर्ष 2021 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर कम होकर शून्य से नीचे रह जाएगी। केंद्रीय बैंक के इस बयान के बाद एकबारगी ऋण पुनर्गठन की चर्चाएं तेज हो गई हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में 4.5 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
आरबीआई ने 2008 में वित्तीय संकट के बाद आरबीआई ने भारतीय उद्योग जगत के लिए एक बार के लिए ऋण पुनर्गठन योजना का प्रावधान किया था। उस समय केंद्रीय बैंक ने पुनर्गठन योजना के तहत उन खातों को मानक खातों के तौर पर वर्गीकृत करने की इजाजत दी थी, जो गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में तब्दील हो गए थे। हालांकि इसके साथ आरबीआई ने कुछ शर्तें भी लगाई थीं। यह समय यह कयास लगाया जा रहा है कि जमीनी स्थिति को देखते नई योजना में भी कुछ बदलाव करने होंगे।
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