सेबी ने कंपनियों को दी राहत | समी मोडक / मुंबई June 25, 2020 | | | | |
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने तरजीही निर्गमों के लिए कीमत के नियमों में गुरुवार को ढील दे दी ताकि सूचीबद्ध कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने की प्रक्र्रिया को आसान बनाया जा सके। नए कीमत फॉर्मूले के तहत शेयर की हाल की कीमतों पर नए शेयर जारी किए जा सकेंगे। बाजार के बहुत से भागीदारों ने सेबी से संपर्क कर यह कहा था कि पहले के फॉर्मूले के तहत निकाली जाने वाली कीमत बहुत ऊंची है, जिससे प्रवर्तक और अन्य निवेशक कंपनी में और पूंजी डालने को लेकर हतोत्साहित हो रहे हैं।
हालांकि सेबी ने कहा कि कीमत के नए नियमों के तहत जारी शेयरों को तीन साल तक नहीं बेचा जा सकेगा और कीमतों में यह रियायत दिसंबर 2020 तक के निर्गमों के लिए वैध होगी। यह फैसला आज मुंबई में बोर्ड की बैठक में लिया गया। इस बैठक में कुछ अन्य फैसले भी लिए गए, जिनमें ओपन ऑफर में देरी पर 10 फीसदी जुर्माना लगाना, भेदिया कारोबार को रोकने के लिए नए उपाय आदि शामिल हैं। इसमें 2019-20 की सालाना रिपोर्ट की सहमति व्यवस्था प्रक्रिया और मंजूरी को भी दुरुस्त करना शामिल है।
तरजीही निर्गम में शेयरों के आवंटन की कीमत का फॉर्मूला 12 सप्ताह या दो सप्ताह के साप्ताहिक उच्चतम एवं न्यूनतम (इनमें से जो अधिक होगा) का वॉल्यूम वेटेड एवरेज है।
केएस लीगल की प्रबंध साझेदार सोनम चंदवानी ने कहा, 'कीमत दिशानिर्देशों के तहत पहले तरजीही आवंटन में निर्गम कीमत पिछले दो सप्ताह या पिछले 26 सप्ताह (इनमें से जो अधिक हो) का औसत ' होती थी। प्रतिबंधों को हटाए जाने से अब साप्ताहिक उच्चतम या न्यूनतम स्तर को लिया जाएगा। इससे कंपनियां तरीजीही निर्गम के जरिये जुटा पाएंगी, जो अन्यथा बाजार के मौजूदा उतार-चढ़ाव के दौर में नामुमकिन था।'
बेंचमार्क सूचकांक जनवरी में अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने के बाद 40 फीसदी तक गिर गया था। हालांकि उसके बाद कुछ सुधार आया है। इस समय सेंसेक्स सालाना आधार पर 15 फीसदी नीचे है। एलऐंडएल पार्टनर्स में पार्टनर वैभव कक्कड़ ने कहा, 'सेबी ने महामारी के कारण पिछले कुछ महीनों के दौरान शेयरों की कीमतों में आई बड़ी गिरावट को मद्देनजर रखते हुए यह कदम उठाया है। उद्योग की यह प्रमुख मांग थी। अब इसे लागू करने से कंपनियां निवेशकों से जल्द पैसा जुटा पाएंगी, जिसकी उन्हें अत्यधिक जरूरत है।' विशेषज्ञों ने कहा कि कीमत के नए फॉर्मूले से उन प्रवर्तकों को मदद मिलेगी, जो अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाना चाहते हैं। इससे क्वालिफाइड इंस्टीट््यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) के जरिये देश में आने वाले संस्थागत निवेशकों को भी मदद मिलेगी।
इंडसलॉ में पार्टनर मनन लाहोटी ने कहा, 'इससे कंपनियों को क्यूआईपी एवं प्रवर्तक निवेश के संयोजन जैसे विभिन्न संयोजनों में मौके मिलेंगे। हालांकि उन निवेशकों के लिए तीन साल के लॉक इन को लंबी अवधि के रूप में देखा जा सकता है, जिनका कंपनी पर नियंत्रण नहीं है।'
|