दुनिया में 2003 से अब तक बर्ड फ्लू से 256 मौतों की आधिकारिक रूप से पुष्टि हो चुकी है। इस साल के पहले 3 महीनों में 6 मौतें हुई हैं। इनमें से चीन में 4 और वियतनाम में 2 मौतें हुईं। यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से मिली है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, हाल के समय में मिस्र में 23 मार्च को 38 वर्ष की एक महिला में बर्ड फ्लू के खतरनाक विषाणु पाये गए। दुनिया भर में 2003 के बाद बर्ड फ्लू से कुल 413 लोग एच5एन1 विषाणु से संक्रमित पाये गए। इनमें से इस साल 18 लोगों का परीक्षण पॉजिटिव रहा। इस संक्रमण ने एशिया के ज्यादातर देशों सहित करीब 15 देशों को अपनी चपेट में लिया। सबसे पहला विषाणु 1996 में चीन के ग्वांगदोंग प्रांत के चूजों में पाया गया था। इसके बाद कई वर्षों तक एशियाई देशों में पोल्ट्री उद्योग बुरी तरह प्रभावित रहा। 2006 में बर्ड फ्लू के विषाणु ने लोगों पर बहुत असर डाला था लेकिन धीरे धीरे इसका असर कम हो गया पर अब भी इसके विषाणु चीन, मिस्र , वियतनाम , बांग्लादेश और कुछ अन्य देशों में मौजूद हैं। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में 2006 के बाद से बर्ड फ्लू ने कहर मचाया है। हाल के कुछ महीनों में पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम के कुछ इलाकों में इस बीमारी के लक्षण पाए गए लेकिन देश में अभी तक इस बीमारी से किसी की जान नहीं गई। इस संक्रमण के कारण पोल्ट्री इंडस्ट्री का करीब 10000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस समय संगठित पोल्ट्री इंडस्ट्री का कारोबार 30000 करोड़ रुपये तक होने का अनुमान है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक बर्ड फ्लू के विषाणु से इंडोनेशिया सबसे ज्यादा प्रभावित रहा जहां 141 मामले पॉजिटिव पाये गए हैं जिनमें से 115 की मौत हो गयी। वियतनाम में 109 मामले पाये गये जिनमें 54 की मौत हो गयी। अन्य देशों में भी मृत्यु दर कम नहीं है, मिस्र में 60 मामलों में 23 मौतें ,चीन में 38 में से 25 ,थाईलैंड में 25 में से 17 और तुर्की में 12 में से 4 , कंबोडिया में 8 में 7 और अजरबैजान उजबेकिस्तान में 8 में से 5 मौतें हुईं। भारत के पड़ोसी बांग्लादेश और म्यांमार में 2007 व 2008 में एक एक विषाणु पाये गये। साल के आधार पर 2006 में इस विषाणु ने 115 लोगों को रोगी बनाया जिसमें से 79 ने अपनी जान गंवा दी। इसकी रोकथाम तो हुई लेकिन इसने 2007 में 88 मामलों में 59 मौतें और 2008 में 44 मामलों में 33 मौतों को रोका नहीं जा सका। इस साल 18 लोग ज्यादातर चीन में , मिस्र में और वियतनाम में इससे प्रभावित हैं।
