एच-1बी, एल-1 और अन्य आव्रजन वीजा पर 2020 के अंत तक पाबंदी लगने के बाद अब सबकी नजरें गैर-आव्रजन कार्य वीजा पर टिक गई हैं। सोमवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एच-1बी, एल-1 और अन्य आव्रजन वीजा पर पाबंदी लगाने की घोषणा थी। इस कदम से भारत और अमेरिका दोनों में तकनीकी उद्योग पर बुरा असर होगा। ट्रंप प्रशासन ने आव्रजन एजेंसियों को एच-1बी वीजा सहित कुछ निश्चित वीजा कार्यक्रमों के लिए नियमन तैयार करने के लिए कहा है, जिनका इस्तेमाल भारत और अमेरिका दोनों की कंपनियां करती हैं। अमेरिकी सरकार के इस निर्णय पर मुंबई स्थित आव्रजन कंपनी लॉक्वेस्ट में मैनेजिंग पार्टनर पूर्वी चोथानी ने कहा,'एच-1बी सीमा (एच-1बी वीजा के तहत काम करने वाले विदेशी कर्मचारियों की सीमा) के मौजूदा मामलों में आवेदन स्वीकार होने के बाद लोग वीजा का आवेदन करने के बाद 1 अक्टूबर 2020 से अमेरिका में काम करने जा सकते थे। अब यात्रा पर पाबंदी की घोषणा के बाद ऐसा लगता है कि अमेरिका दिसंबर 2020 के बाद यात्रा वीजा के आवेदनों पर विचार करेगा। इस बात को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है कि दूतावास इस बीच वीजा आवेदनों से कैसे निपटेंगे।' चोथानी के अनुसार जिन लोगों के पास पहले से एच-1बी और एल वीजा हैं और इस समय भारत में हैं, वे पाबंदी की जद में नहीं आएंगे। लेकिन ऐसे लोगों को यात्रा की योजना बनाने से पहले स्थिति साफ होने का इंतजार करना चाहिए। जिन लोगों के पास एच-1बी और एल-1 आवेदन मंजूर हो चुके हैं, लेकिन जो इस समय अमेरिका से बाहर हैं और जिनके वीजा पर अब तक मुहर नहीं लग पाई है, वे 31 दिसंबर 2020 तक या उसके कुछ समय बाद तक अमेरिका में दाखिल नहीं हो पाएंगे। फिलहाल अमेरिका हर साल 65,000 एच-1बी वीजा जारी करता है। किसी अमेरिकी संस्थान से स्नातकोत्तर या डॉक्टरेट की डिग्री पाने वाले व्यक्तियों के लिए अलग से 20,000 एच-1बी वीजा का प्रावधान है। मंगलवार को दिन भर तकनीकी उद्योग से जुड़े लोग कुछ श्रेणियों के वीजा धारकों के अमेरिका में प्रवेश पर पाबंदी लगने से निराश दिखे। तकनीकी उद्योग के अलावा दूसरे उद्योगों और पेशे से जुड़े लोगों को भी इस अस्थायी वीजा का लाभ मिलता है। ट्रंप की घोषणा पर अपनी प्रतिक्रिया में यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स के सीईओ थॉमस जे डोनो ने कहा, 'राष्ट्रपति की घोषणा से कानूनी आव्रजन की राह में बाधा डाली गई है। इस निर्णय से इंजीनियर, डॉक्टर, आईटी विशेषज्ञ और अन्य पेशेवर अमेरिका नहीं आ पाएंगे, जिसका हमें नुकसान उठाना पड़ सकता है।' भारतीय आईटी उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन नैसकॉम ने कहा कि वीजा पर पाबंदी से नई चुनौतियां पेश आएंगी। नैसकॉम ने एक बयान में कहा, 'हम अमेरिका प्रशासन से पाबंदी की अवधि 90 दिनों तक सीमित करने की अपील करते हैं।' अल्फाबेट एवं गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने कहा कि बाहर के लोगों ने अमेरिका के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार की इस घोषणा से हमें निराशा हाथ लगी है। नैसकॉम ने कहा कि उसे उम्मीद है कि अमेरिकी प्रशासन इस निर्णय पर दोबारा विचार करेगा। नैसकॉम के अनुसार ऐसे नियामकीय बदलावों से वीजा कार्यक्रम पर असर होगा और अमेरिका अर्थव्यवस्था को और नुकसान होगा।
