रिलायंस इंडस्ट्रीज का सेंसेक्स और निफ्टी सूचकांक में मजबूत भारांक | सुंदर सेतुरामन और समी मोडक / मुंबई June 23, 2020 | | | | |
रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने सिर्फ भरात की बेहद मूल्यवान कंपनी है बल्कि वह शेयर बाजार के नजरिये से भी बेहद महत्वपूर्ण है। मार्च के निचले स्तर से दोगुनी कीमत के साथ इस शेयर ने सेंसेक्स और निफ्टी सूचकांकों में सबसे ज्यादा भारांक के तौर पर अपनी स्थिति मजबूत बनाई है।
मौजूदा समय में सेंसेक्स के भारांक में आरआईएल का योगदान करीब 15 फीसदी और निफ्टी में 13 फीसदी है। मार्च के शुरू में सेंसेक्स और निफ्टी सूचकांकों में यह भारांक महज 9.2 फीसदी और 8.1 फीसदी था।
जहां आरआईएल कुछ समय से भारत की सबसे ज्यादा मूल्यवान कंपनी है, लेकिन इसका भारांक सबसे ज्यादा नहीं था। इसकी वजह यह है कि सेंसेक्स और निफ्टी दोनों अपने भारांक की गणना फ्री-फ्लोट बाजार पूंजीकरण (एमकैप) के आधार पर करते हैं- इसमें प्रवर्तकों के स्वामित्व वाले शेयर शामिल नहीं होते। इसलिए, जहां आरआईएल की कुल बाजार पूंजीकरण सर्वाधिक था, लेकिन प्रवर्तक शेयरधारिता को देखते हुए इसका आधा हिस्सा ही फ्री-फ्लोट था।
दूसरी तरफ, एचडीएफसी बैंक (जो हाल तक भारत का सबसे ज्यादा भारांक वाला शेयर था) के बाजार पूंजीकरण का बड़ा हिस्सा अपेक्षाकृत कम प्रवर्तक शेयरधारिता की वजह से फ्री-फ्लोट से संबंधित है। मई में, आरआईएल ने भारत के प्रमुख सूचकांक भारांक के तौर पर एचडीएफसी बैंक को पीछे छोड़कर यह स्थान लिया था। तब से शेयर कीमत में अच्छी तेजी की वजह से यह दूसरों की तुलना में अपनी मजबूती कायम रखे हुए है।
सेंसेक्स अपने मार्च के निचले स्तर से करीब 9,000 अंक (34 फीसदी) चढ़ चुका है। इस तेजी में अकेले आरआईएल का एक-तिहाई का योगदान है। दूसरे सबसे ज्यादा योगदान वाले शेयर एचडीएफसी बैंक का सूचकांक की कुल तेजी में करीब 12 फीसदी योगदान है।
आईआईएफएल के शोध उपाध्यक्ष अभिमन्यु सोफत का कहना है, 'बाजार की तेजी में बड़ा योगदान आरआईएल का है, जबकि निजी क्षेत्र के बैंकों का बहुत ज्यादा योगदान नहीं है।'
सोमवार को आरआईएल का शेयर दिन के कारोबार में 1,804 रुपये की सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंच गया था और आखिर में 1,747 पर बंद हुआ जो पूर्ववर्ती बंद भाव की तुलना में 0.7 फीसदी की गिरावट है। मार्च के बाद से सकारात्मक खबरों से आरआईएल के साथ साथ संपूर्ण बाजार को तेजी दर्ज करने में मदद मिली है। हालांकि किसी एक शेयर पर ज्यादा निर्भरता से बाजार के लिए जोखिम खड़ा हो गया है। यदि शेयर या क्षेत्र के लिए परिदृश्य नकारात्मक हो जाता है तो इसका पूरे बाजार पर प्रभाव पड़ेगा।
हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि आरआईएल का बढ़ता भारांक कोई समस्या नहीं है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में शोध प्रमुख (रिटेल) सिद्घार्थ खेमका ने कहा, 'सूचकांक पर हमेशा से कुछ क्षेत्रों या शेयरों का दबदबा रहा है। बैंकिंग और फाइनैंस का भारांक बढ़कर करीब 40 फीसदी तक हो गया था। आरआईएल के लिए दीर्घावधि परिदृश्य मजबूत है, वह समय से पहले ही कर्ज-मुक्त कंपनी बन गई है जो इस शेयर के लिए सकारात्मक है।'
विश्लेषकों का कहना है कि अन्य सकारात्मक कारक यह है कि आरआईएल सिर्फ शुद्घ रूप से तेल एवं गैस कंपनी नहीं रही है। दूरसंचार और रिटेल जैसे अन्य वर्टिकलों में इसके विविधीकरण का मतलब है सिर्फ एक सेक्टर पर कम निर्भरता।
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