ग्लेनमार्क, सिप्ला को कोविड दवा से दम | उज्ज्वल जौहरी और सोहिनी दास / मुंबई June 22, 2020 | | | | |
भारत में कोविड-19 संक्रमण के हल्के लक्षण वाले रोगियों के उपचार के लिए खाने वाली दवा फेविपिराविर को लॉन्च करने की घोषणा के बाद ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल के प्रति निवेशकों की धारणा काफी बेहतर हुई है। सोमवार को कंपनी का शेयर दिन भर के कारोबार के दौरान 40 फीसदी बढ़त के साथ 572.70 रुपये की सर्वाधिक ऊंचाई को छूने के बाद करीब 520 रुपये पर बंद हुआ।
सिप्ला का शेयर भी दिन भर के कारोबार के दौरान 9 फीसदी की बढ़त के साथ 52 सप्ताह की ऊंचाई को छूने के बाद 3.12 बढ़त के साथ बंद हुआ। कंपनी ने कोविड-19 से संक्रमित रोगियों के उपचार के लिए एंटीवायरल दवा रेमडेसिविर के लिए नियामकीय मंजूरी मांगी थी और अब मंजूरी मिलने के बाद वह जल्द ही आपूर्ति शुरू कर सकती है।
ग्लेनमार्क द्वारा इस दवा को बाजार में उतारे के लिए अच्छी संभावनाएं दिख रही हैं। हालांकि कंपनी के शेयर की प्रतिक्रिया थोड़ी आश्चर्यचकित करने वाली है क्योंकि कंपनी ने अन्य कंपनियों के मुकाबले इस दवा को बाजार में पहले उतार रही है। इससे कंपनी को बाजार में पहले आने का फायदा मिलेगा। अन्य कंपनियां भी बाजार में इसी तरह की दवाएं उतारने की तैयारी में हैं जिससे कोविड-19 के उपचार वाली दवाओं के बीच प्रतिस्पर्धा बढऩे के आसार हैं।
कंपनी ने इस दवा के लिए क्लीनिकल अध्ययन पूरा कर लिया है और भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) की मंजूरी के साथ ही इसे सुरक्षित भी माना गया है। उद्योग के एक सूत्र ने कहा, 'इसके आधार पर अब अन्य कंपनियां अब अपनी दवाओं के लिए स्थायित्व एवं अन्य आवश्यक आंकड़े सौंपते हुए उत्पाद लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकती हैं। क्लीनिकल परीक्षण से पता चलता है कि यह दवा कोविड-19 के हल्के लक्षण वाले रोगियों के उपचार के लिए प्रभावी है।' उन्होंने यह भी कहा कि कुछ ही महीनों में 50 से अधिक कंपनियां इस दवा को बाजार में उतारेंगी।
विश्लेषकों का कहना है कि कुल मिलाकर भारत में कोविड-19 के उपचार क्षेत्र में दवा कंपनियों के लिए करीब 400 करोड़ रुपये का अवसर होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि यदि इसमें अन्य कंपनियों के उत्पादों पर भी गौर किया जाए तो ग्लेनमार्क द्वारा उतारी गई दवा पेटेंटयुक्त न होने के कारण उसे अधिक फायदा नहीं होगा। ग्लेनमार्क ने 103 रुपये प्रति टैबलेट कीमत के साथ फैबिफ्लू को बाजार में उतारा है।
भारत में कोविड संक्रमित रोगियों की संख्या में रोजाना करीब 12,000 रोगियों का इजाफा हो रहा है। इनमें से करीब 70 से 80 फीसदी रोगियों में कोविड-19 के हल्के लक्षण पाए गए हैं जिन्हें फैविपिराविर जैसी दवाओं की आवश्यकता होती है।
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