तेल व गैस की खपत बढ़ी, उत्पादन गिरा | शाइन जैकब / नई दिल्ली June 22, 2020 | | | | |
देश में पिछले एक दशक में कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस की खपत क्रमश: 60 फीसदी और 22 फीसदी बढऩे के बावजूद इनके उत्पादन में गिरावट आई। यह जानकारी बीपी स्टैटिस्टिकल रिव्यू में सामने आई है।
हाल में जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में वैश्विक ऊर्जा बाजार की वृद्धि में कमी आई जो कि कमजोर आर्थिक वृद्धि के अनुरूप है।
देश में तेल का भंडार 1999 के 500 करोड़ बैरल से घटकर 2019 में 470 करोड़ बैरल रह गया। देश में तेल का उत्पादन भी 2009 के 8,38,000 बैरल प्रतिदिन से घटकर 2019 में 8,26,000 बैरल प्रतिदिन रही। रिपोर्ट में बताया गया है कि सालाना तेल उत्पादन भी 2009 के 3.8 करोड़ टन से घटकर 2019 में 3.75 करोड़ टन रहा। यह स्थिति 2013 में 4.25 करोड़ टन का सर्वकालिक उच्च उत्पादन रहने के बावजूद है।
दिलचस्प है कि, इसी दौरान तेल खपत 2009 के 32.9 लाख बैरल प्रतिदिन से 60 फीसदी बढ़कर 2019 में 52.7 लाख बैरल प्रतिदिन हो गई। विभिन्न उत्पादों में से अधिकांश वृद्धि मीथेन और एलपीजी की खपत में हुई। इनकी खपत 2009 के 4,70,000 बैरल प्रति दिन से 118 फीसदी बढ़कर 2019 में 10.2 लाख बैरल प्रतिदिन हो गई।
प्राकृतिक गैस के लिए भंडार 1999 के 0.6 लाख करोड़ घनमीटर से बढ़कर 2019 में 1.3 लाख करोड़ घनमीटर हो गई। ऊर्जा खपत में गैस की हिस्सेदारी बढ़ाकर 15 फीसदी करने पर सरकार की ओर से जोर दिए जाने के बावजूद बीपी के आंकड़ों के मुताबिक इसका उत्पादन 2009 के 36.1 अरब घनमीटर से 25 फीसदी घटकर 2019 में 26.9 अरब घनमीटर रह गई। उत्पादन 2010 में 474 अरब घनमीटर के साथ सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचा था। दूसरी तरफ विगत एक दशक में खपत 2009 के 49.1 अरब घनमीटर से 22 फीसदी बढ़कर 2019 में 59.7 अरब घनमीटर रही। भारत का तरलीकृत प्राकृतिक गैस आयात भी 2009 के 13 अरब घनमीटर से 153 फीसदी बढ़कर 2019 में 32.9 अरब घनमीटर पर पहुंच गया।
डेलॉइट टचे तोमात्सू में पार्टनर देवाशिष मिश्रा ने कहा, 'इस साल से केजी बेसिन से नया उत्पादन शुरू होने के साथ ही गैस के क्षेत्र में सुधार आने की उम्मीद है और उत्पादन बढऩे के आसार हैं क्योंकि बुनियादी ढांचे का भी विकास किया जा रहा है। दूसरी तरफ कच्चा तेल के मामले में हमें विदेशी उत्पादन ब्लॉकों में इक्विटी लेने पर ध्यान देना चाहिए।'
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के पूर्वानुमान के आधार पर, 2019-2025 के दौरान भारत की कुल खपत में अनुमानित तौर पर 28 अरब घनमीटर की सालाना वृद्धि होगी। ऐसा सरकार की ओर से समर्थनकारी नीतियों और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) तथा पाइपलाइन बुनियादी ढांचा में सुधार होने से होगा। आईईए के मुताबिक भारत के एलएनजी आयात में सालाना 16 अरब घनमीटर का इजाफा हो सकता है और यह 2025 के अंत तक 48 अरब घनमीटर पर पहुंच सकता है।
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